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Budget 2020: रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने कहा- बजट से फिलहाल नहीं मिलेगा अर्थव्यवस्था को बूस्ट

Union Budget 2020 वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में 1 फरवरी को पेश बजट से देश की अर्थव्यवस्था रफ्तार पकड़ पाएगी, इसे लेकर सवाल उठने लगे हैं. रेटिंग एजेंसी क्रिसिल कहा है कि इससे इकोनॉमी को शॉर्ट टर्म में कोई फायदा होता नहीं दिख रहा.

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2020 Union Budget: इकोनॉमी की सुस्ती पर बड़े कदम उठाने की उम्मीद थी
2020 Union Budget: इकोनॉमी की सुस्ती पर बड़े कदम उठाने की उम्मीद थी

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  • वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को पेश किया बजट
  • इकोनॉमी की सुस्ती को देखते हुए बड़े कदम की उम्मीद थी
  • सरकार ने कुछ बड़े बदलाव करने की जरूरत नहीं समझी
  • रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने कहा कि शॉर्ट टर्म में कोई फायदा नहीं

रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि केंद्रीय बजट 2020-21 में आर्थिक विकास के लिए उठाए गए उपायों का शॉर्ट टर्म में असर नहीं दिखेगा. एजेंसी ने कहा कि अर्थव्यवस्था को सुस्ती के दौर से निकालने के लिए शॉर्ट टर्म इसका असर नहीं होगा. इसका लॉन्ग टर्म में धीरे-धीरे कुछ असर दिख सकता है.

देश का आम बजट शनिवार को पेश किया गया.  जिसमें आगामी वित्त वर्ष 2020-21 के लिए राजकोषीय घाटा लक्ष्य 3.5 फीसदी तय किया गया जोकि पिछले साल के लक्ष्य तीन फीसदी से अधिक है.

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क्या कहा क्रिसिल ने

क्रिसिल की रिपोर्ट में कहा गया कि सरकार को अतिरिक्त धन  विनिवेश, एसेट्स को बेचने के लक्ष्य और टेलीकॉम राजस्व द्वारा जुटाया जाने वाला फंड व आशावादी कर वृद्धि अनुमान और कुल खर्च में कमी से होगी.  इसके अलावा, पूंजीगत खर्च और ग्रामीण क्षेत्र के लिए किए जाने वाले खर्च से उपभोग को प्रोत्साहन मिलेगा.

क्रिसिल ने रविवार को जारी रिपोर्ट में कहा, 'बजट में सरकार के कदमों का लक्ष्य आर्थिक विकास को प्रोत्साहन देना है. हालांकि इनमें से अधिकांश कदमों से अल्पावधि में प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद नहीं है.'

सरकार को आर्थ‍िक विकास की उम्मीद है

क्रिसिल के अनुसार, आर्थिक विकास को कुछ प्रोत्साहन मिलेगा लेकिन अल्पावधि में ज्यादा प्रोत्साहन नहीं मिलेगा.  हालांकि, सरकार अभी भी लंबी अवधि के आर्थिक विकास को देख रही है. इसलिए, पूंजीगत खर्च पर जोर दिया गया है. इसका गुणक प्रभाव सकारात्मक होगा, लेकिन मंद रहेगा.

इकोनॉमी की हालत एक साल से खराब है

गौरतलब है कि पिछले एक साल से अर्थव्यवस्था की हालत काफी खराब है. इस वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में बढ़त महज 5 फीसदी रहने का अनुमान है. सितंबर में खत्म तिमाही में तो इकोनॉमी की बढ़त दर महज 4.8 फीसदी रह गई थी.

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पिछले एक साल में जीडीपी की रफ्तार तेजी से घटने से नौकरियां तो जा रही हैं और नई नौकरियां पर्याप्त संख्या में पैदा नहीं हो रही हैं. पिछले साल लीक हुए एनएसओ के आंकड़ों के मुताबिक हाल के वर्षों में बेरोजगारी दर 45 साल के ऊंचे स्तर पर पहुंच गई थी.

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बड़े कदम की उम्मीद थी

इस वजह से वर्ष 2020-21 के बजट को मोदी सरकार के लिए अब तक के सबसे कठिन बजट माना जा रहा था. खासकर पिछले एक साल में इकोनॉमी की हालत बेहद खस्ता थी, ऐसे में बड़ी उम्मीद थी कि वित्त मंत्री ऐसे कुछ साहसिक उपायों की घोषणा करेंगी, जिससे मांग- निवेश को प्रोत्साहन मिले और जीडीपी ग्रोथ रफ्तार पकड़े. लेकिन मोदी सरकार के बजट में ऐसा कोई बड़ा कदम नहीं दिखा जिससे अर्थव्यवस्था को तेज गति मिले.

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