मजबूत और सस्ता मकान
केन्द्रीय बजट ने सुस्ती के दौर से गुजर रहे रियल एस्टेट सेक्टर को सस्ते घर को सस्ते में बनाने का रास्ता सुझाया है. इससे जहां आम आदमी का घर हो अपना का सपना पूरा करने के लिए रियल एस्टेट को सस्ती जमीन और सस्ती दरों पर कर्ज का रास्ता साफ करने की कोशिश की गई हैं वहीं नोटबंदी के बाद भरे बैंकों के खजाने से घर खरीदार को सस्ता कर्ज मुहैया कराने का रास्ता साफ कर दिया है.
इन दोनों प्रावधानों को सातवें वेतन आयोग द्वारा बढ़ी हुई आय से रियल एस्टेट सेक्टर में बड़ी डिमांड पैदा करने का काम पहले ही किया जा चुका है. अब केन्द्र सरकार के प्रावधानों से उम्मीद है कि रियल एस्टेट सेक्टर छोटे शहरों के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों में सस्ते और पुख्ता निर्माण में अपने लिए कारोबारी मौका निकालें.
डिजिटल दुकान और रियल मुनाफा
नोटबंदी के बाद देश में कैश की किल्लत से निपटने और कैशलेस इकोनॉमी की तरफ देश को बढ़ाने के लिए केन्द्रीय बजट ने कैश ट्रांजैक्शन पर नई लिमिट लगा दी है. अब 3 लाख रुपये से अधिक की रकम में कैश ट्रांजैक्शन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है.
इसे वित्त मंत्री ने अर्थव्यवस्था में नए ‘क्षितिज’ के निर्माण की संज्ञा दी है. सरकार को उम्मीद है कि इससे जीडीपी और टैक्स रेवेन्यू में अधिक ग्रोथ होगी और अर्थव्यवस्था अधिक पारदर्शी एवं वास्तविक होगी. वहीं सरकार ने भुगतान में पैन नंबर की अनिवार्यता करते हुए उसे टीडीएस से जोड़ने के कदम से साफ कर दिया है कि अब सभी छोटे-बड़े कारोबारियों को डिजिटल माध्यमों में सबसे ज्यादा फायदा होगा क्योंकि कैश से भगुतान एक लिमिट के बाद मंहगा हो जाएगा वहीं डिजिटल लेनदेन में कारोबारियों को सीधा टैक्स लाभ मिलेगा.
लगान माफ लेकिन रिटर्न जरूरी
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इनकम टैक्स स्लैब में कुछ लोगों का लगान (टैक्स) माफ कर दिया है, तो कुछ लोगों को थोड़ी रियायत पहुंचाई है. अभीतक 2.5 लाख रुपये तक की वार्षिक आय टैक्स फ्री थी. इसे बढ़ाकर सरकार ने 3 लाख रुपये तक की आय को टैक्स फ्री कर दिया है. वहीं 3 से 3.50 लाख रुपये तक की आय वालों को कुल टैक्स देनदारी का आधा अदा करने का फैसला सुनाया है.
इस प्रावधान से सरकारी खजाने पर बोझ को कम करने के लिए सरकार ने देश में सुपररिच (धनाड्य) पर सरचार्ज लगा दिया है. वहीं लगान माफ करने का नुकसान की पूरी भरपाई करने के लिए सरकार ने इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने में 31 दिन की देरी पर 5,000 रुपये का जुर्माना और उससे अधिक देरी पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगा दिया है. लिहाजा, सरकार ने साफ कर दिया है कि आपका लगान माफ है लेकिन रिटर्न जरूर फाइल करें और जुर्माने से बचें.