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UP में नहीं बन पाई रेरा की नई पॉलिसी, ग्राहक समेत बिल्डर परेशान

भले ही 1 मई से रियल एस्टेट रेगुलेटरी बिल यानी रेरा को लागू कर दिया गया है लेकिन उत्तर प्रदेश के तमाम बिल्डर्स और फ्लैट बायर्स अभी भी कंफ्यूज हैं. फ्लैट बायर्स एसोसिएशन और बिल्डर दोनों ही ड्राफ्ट पॉलिसी ना आने को लेकर कंफ्यूज हैं क्योंकि अब राज्य के पास महज 3 महीने का वक्त है जिसमें उसे ट्राइब्यूनल नियुक्त करने के साथ-साथ अपनी नीति निर्धारित करना होगा.

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यूपी में कंफ्यूजन बरकरार, कैसी होगी रियल एस्टेट की रेरा नीति
यूपी में कंफ्यूजन बरकरार, कैसी होगी रियल एस्टेट की रेरा नीति

भले ही 1 मई से रियल एस्टेट रेगुलेटरी बिल यानी रेरा को लागू कर दिया गया है लेकिन उत्तर प्रदेश के तमाम बिल्डर्स और फ्लैट बायर्स अभी भी कंफ्यूज हैं. फ्लैट बायर्स एसोसिएशन और बिल्डर दोनों ही ड्राफ्ट पॉलिसी ना आने को लेकर कंफ्यूज हैं क्योंकि अब राज्य के पास महज 3 महीने का वक्त है जिसमें उसे ट्राइब्यूनल नियुक्त करने के साथ-साथ अपनी नीति निर्धारित करना होगा.

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फ्लैट बायर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अनु खान का कहना है कि अभी तक उन्हें ये भी नहीं पता कि राज्य की ड्राफ्ट पॉलिसी में क्या आएगा. खान को डर है कि कहीं ड्राफ्ट पॉलिसी में बिल्डर के पक्ष में बदलाव न कर दिया. हालांकि ऐसे किसी बदलाव के बाद बायर्स एसोसिएशन ने आंदोलन करने की बात कही है.

वही सीएम योगी आदित्यनाथ से मिलकर आए नोएडा फ्लैट बायर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश पुरोहित का कहना है कि मुख्यमंत्री से तो उन्होंने इस बारे में अपनी बात रखी थी लेकिन जब तक ड्राफ्ट पॉलिसी सामने नहीं आती है तब तक पता नहीं चल पाएगा कि रेरा एक्ट के तहत उनको कैसा फायदा मिल सकता है.

ड्राफट पॉलिसी नहीं आने से बिल्डर्स भी कुछ कहने से बच रहे हैं. साया डेवलपर्स के डायरेक्टर मनोज जैन का कहना है कि यह एक्ट जरूर बिल्डर और खरीदारों के बीच भरोसा कायम करेगा लेकिन इस एक्ट में क्या कुछ फेरबदल हो सकता है इसे लेकर लोगों में डर पनप रहा है.

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बिल्डर्स की संस्था क्रेडाई को उम्मीद है कि अथॉरिटी अपॉइंट करने से पहले सरकार सभी पक्षों से राय मशविरा करेगी. इसके अलावा नोएडा और गाजियाबाद में अपने फ्लैट बुक करा चुके लोगों का मानना है कि एक बार यह एक्ट पूरी तरह से लागू हो जाएगा तो ग्राहकों को पता होगा कि बिल्डर्स के खिलाफ कोई शिकायत लेकर उन्हें किसके पास जाना होगा.

केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन को 1 मई से लागू कर दिया गया है लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार को अभी भी इस संस्था को पूरी तरह से विकसित करने के लिए मेहनत करने की जरूरत है.

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