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GST से होगी 'इंस्पेक्टर राज' की वापसी? इसलिए डरे हुए हैं व्यापारी

नई टैक्स प्रणाली में कई ऐसे प्रावधान जिसे जानकार मान रहे हैं कि इनके चलते देश में एक बार इंस्पेक्टर राज की शुरुआत हो सकती है. जीएसटी कानून में कारोबारी को मुनाफाखोरी और टैक्स असंगति के चलते गिरफ्तार करने के प्रावधान के चलते माना रहा है कि इसके चलते टैक्स विभाग के कर्मचारियों को कारोबारी के ठिकानों पर इंस्पेक्शन, छापेमारी और जब्ती करने का विशेष अधिकार मिल जाएगा.

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GST के नियमों से डरे कारोबारी, कहीं फिर न आ जाए 'इंस्पेक्टर राज'
GST के नियमों से डरे कारोबारी, कहीं फिर न आ जाए 'इंस्पेक्टर राज'

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गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स 1 जुलाई से लागू हो चुका है. इस नई टैक्स प्रणाली में कई ऐसे प्रावधान जिसे जानकार मान रहे हैं कि इनके चलते देश में एक बार इंस्पेक्टर राज की शुरुआत हो सकती है. जीएसटी कानून में कारोबारी को मुनाफाखोरी और टैक्स असंगति के चलते गिरफ्तार करने के प्रावधान के चलते माना रहा है कि इसके चलते टैक्स विभाग के कर्मचारियों को कारोबारी के ठिकानों पर इंस्पेक्शन, छापेमारी और जब्ती करने का विशेष अधिकार मिल जाएगा.

इन प्रावधानों से देश में कारोबारियों के लिए टैक्स विभाग के फील्ड अफसर को असीम शक्तियां मिल जाएंगी. सीजीएसटी और एसजीएसटी के कर्मचारी किसी भी कारोबारी या ट्रांस्पोर्टर या वेयरहाउस पर इंस्पेक्शन और छापेमारी महज इस शक पर कर सकते हैं कि उक्त जदह पर टैक्स चोरी की जा रही है या की जाने की संभावना है.

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वहीं जीएसटी में क्लॉज 171 में प्रावधान किया गया है कि कंपनियों को इनपुट टैक्स क्रेडिट से मिलने वाला फायदा ग्राहकों को सस्ते उत्पाद उपलब्ध कराकर देना होगा. इस नियम के तहत यह जरूरी हो जाता है कि जीएसटी ढ़ांचे के समानांतर एक ढ़ांचा खड़ा किया जाए जिससे कंपनियों की मुनाफाखोरी पर कड़ी नजर रखी जा सके.

इसके अलावा, जीएसटी के प्रावधानों पर टैक्स मामलों के जानकारों का मानना है कि टैक्स की दरें 5,12, 18 और 28 फीसदी के चलते कारोबारी और टैक्स विभाग के बीच कई नए मतभेद पैदा हो सकते हैं. जीएसटी के दायरे से बचने के लिए जहां कारोबारियों की कोशिश अपने प्रोडक्ट का आंकलन इनमें से न्यूनतम दायरे में कराने की होगी. वहीं अधिक टैक्स वसूलने के लिए टैक्स विभाग की कोशिश ज्यादातर उत्पादों को बड़े दायरे के अधीन करने की होगी. लिहाजा, ऐसी स्थिति में कारोबारी और टैक्स विभाग में मतभेद बढ़ने के आसार रहेंगे और इनके निपटारे के लिए टैक्स ट्राइब्यूनल की भूमिका अहम हो जाएगी.जीएसटी के तहत किसी भी कारोबारी को टैक्स चुराने अथवा मुनाफाखोरी करने पर पकड़े जाने पर जेल जाने का प्रावधान है.

प्रावधान के मुताबिक यदि केन्द्र और राज्य की टैक्स संस्था में किसी कमिश्नर स्तर के आधिकारी के पास किसी कारोबारी पर टैक्स चोरी में लिप्त होने का पर्याप्त कारण है तो वह उसकी गिरफ्तारी का आदेश दे सकता है. जीएसटी के इस प्रावधान को जानकार बड़ा खतरा मान रहे हैं. उनका दावा है कि इस प्रावधान के चलते कारोबारी के ऊपर टैक्स अधिकारियों का दबदबा कायम होगा और पूरे आसार होंगे कि यह नियम इंस्पेक्टर राज को कायम करने में सबसे अहम किरदार अदा करेगा.

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टैक्स अधिकारी बिना अनुमति नहीं कर सकेंगे कारोबारी के परिसर का दौरा

हालांकि केन्द्र सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी कर अधिकारी को व्यापारियों या दुकानदारों के परिसर का बिना पूर्व अनुमति के दौरा करने का अधिकार नहीं है. इसका उल्लंघन किए जाने पर इसकी रिपोर्ट शिकायत हेल्पलाइन पर दर्ज करायी जानी चाहिए.

सरकार को ऐसी शिकायतें मिली हैं कि कुछ बेइमान लोग खुद को माल एवं सेवाकर जीएसटी अधिकारी बताकर दुकानदारों और ग्राहकों को डराने की कोशिश कर रहे हैं. इसके बाद विा मंत्रालय ने यह स्पष्टीकरण जारी किया है. जीएसटी मुख्य आयुक्त दिल्ली क्षेत्र ने स्पष्ट किया कि कर विभाग जीएसटी व्यवस्था में हस्तांतरण के दौरान व्यापारियों और दुकानदारों की प्रक्रिया समझाने में केवल मदद करना चाहता है.

 

 

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