scorecardresearch
 

खाद्य तेलों के आयात पर शुल्क मूल्‍य व्यवस्था समाप्त

सरकार ने खाद्य तेलों के आयात पर शुल्क गणना के लिये निर्धारित शुल्क मूल्य व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया. अब खाद्य तेलों के आयात पर उनके शुल्क मूल्य की गणना अंतरराष्ट्रीय दाम के आधार पर होगी.

Advertisement
X

सरकार ने खाद्य तेलों के आयात पर शुल्क गणना के लिये निर्धारित शुल्क मूल्य व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया. अब खाद्य तेलों के आयात पर उनके शुल्क मूल्य की गणना अंतरराष्ट्रीय दाम के आधार पर होगी.

Advertisement

मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति की बैठक में कच्चे खाद्य तेलों के आयात पर ढाई प्रतिशत शुल्क लगाने के साथ साथ शुल्क मूल्य निर्धारण की व्यवस्था को भी समाप्त कर दिया गया है. सरकार हर पखवाड़े खाद्य तेल तथा कुछ अन्य वस्तुओं के आयात शुल्क मूल्य तय करती रही है.

देश में कच्चा पॉम तेल, आरबीडी पॉमोलिन तेल, पॉम तेल, सोयाबीन तेल, कच्चा और रिफाइंड तथा अन्य खाद्य तेलों का आयात किया जाता है. मंत्रिमंडल ने कच्चे खाद्य तेलों के आयात पर 2.5 प्रतिशत की दर से आयात शुल्क लगाने का फैसला किया है जबकि रिफाइंड तेलों पर आयात शुल्क 7.5 प्रतिशत पर यथावत रखा गया है.

सरकार के इस फैसले से खाद्य तेलों के आयात पर मिलने वाली राजस्व वसूली बढ़ेगी. सरकार ने खाद्य तेलों तथा कुछ अन्य वस्तुओं के आयात पर सीमा शुल्क अधिनियम 1962 के तहत निर्धारित शुल्क मूल्य व्यवस्था शुरु की थी. हर पखवाड़े इनके आयात के लिये सरकार अपनी तरफ से मूल्य तय करती थी और उसी मूल्य पर आयात शुल्क लिया जाता रहा है. यह मूल्य आमतौर पर उनके अंतरराष्ट्रीय मूलय की तुलना में काफी कम रहता रहा है.

Advertisement

यहां यह उल्लेखनीय है कि मुद्रास्फीति पर अकुंश रखने के उद्देश्य से सरकार ने खाद्य तेलों का शुल्क मूलय 31 जुलाई 2006 से लगातार स्थिर रखा हुआ है. शुल्क मूल्य उनके अतंरराष्ट्रीय दाम के अनुरुप बढ़ने और साथ ही कच्चे तेल के आयात पर 2.5 प्रतिशत शुल्क लगने से सरकारी खजाने में राजस्व बढ़ेगा.

Advertisement
Advertisement