केंद्र सरकार का साफ कहना है कि भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों को नहीं बख्शा जाना चाहिए. इस कड़ी में अब सेंट्रल बोर्ड और इनडायरेक्ट टैक्सेज एंड कस्टम्स विभाग (CBIC) ने 22 सीनियर अफसरों को जबरन सेवानिवृत्ति दी है.
दरअसल जबरन रिटायर्ड कराए गए इन अधिकारियों पर भ्रष्टाचार समेत कई अन्य तरह के आरोप थे. इन अधिकारियों को जनहित में नियम 56-जे के तहत रिटायरमेंट दी गई है. जबरन रिटायर कराए गए सुपरिटेंडेंट और एओ रैंक के अफसर शामिल हैं. इन अधिकारियों के खिलाफ सीबीआई में भी मामले दर्ज हैं.
इन सभी अधिकारियों पर करप्शन और गंभीर अनियमितताओं के आरोप लगे थे, जिसके कारण यह फैसला लिया गया है. CBIC के एक अधिकारी ने बताया कि इन सभी पर गंभीर आरोप थे. बता दें, इससे पहले जून में 27 सीनियर IRS अधिकारियों को जबरन रिटायर कर दिया था, जिसमें इनकम टैक्स के भी 12 बड़े अधिकारी शामिल थे.
फंडामेंटल राइट (मूल नियम) का प्रयोग ऐसे अधिकारियों के लिए होता है जिनकी उम्र 50 से 55 साल के बीच होती है और जो अपने कार्यकाल के 30 साल पूरे कर लिए होते हैं. सरकार के पास ऐसे अफसरों को जबरन रिटायर किए जाने का अधिकार होता है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर इसी साल से भ्रष्टाचार के आरोपी अधिकारियों को हटाने की मुहिम शुरू की है. पीएम मोदी ने 15 अगस्त को लालकिले से कहा था कि प्रशासन में मौजूद कुछ कर्मचारियों ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग करके करदाताओं को परेशान किया था. जिसके बाद विभाग की ओर से इस तरह की कार्रवाई की जा रही है.