नरेंद्र मोदी सरकार 2.0 में सरकारी विभागों की सफाई यानी भ्रष्टाचार और अन्य मामलों के आरोपी अफसरों को निकालने का सिलसिला जारी है. इसी कड़ी में केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) के 20 से अधिक सीनियर अधिकारियों को जबरन रिटायर (Compulsory Retirement) कर दिया है.
न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक CBIC ने 22 वरिष्ठ अधिकारियों को जबरन रिटायर किया है. जिन 22 अधिकारियों को रिटायर किया गया है वो सभी सुपरिटेंडेंट और एओ रैंक के थे. ये फैसला फंडामेंटल रूल 56 (J) के तहत लिया गया है.
Central Board of Indirect Taxes & Customs (CBIC) has compulsorily retired yet another 22 senior officers of the rank of Superintendent/AO under Fundamental Rule 56 (J) in the public interest, due to corruption and other charges. pic.twitter.com/848fScXJdG
— ANI (@ANI) August 26, 2019
पहले भी सरकार ले चुकी है फैसला
यह पहली बार नहीं है जब केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड में वरिष्ठ अधिकारियों को जबरन रिटायर किया गया है. इससे पहले बीते जून महीने में 15 अधिकारियों की छुट्टी की गई थी. ये अधिकारी CBIC के प्रधान आयुक्त, आयुक्त, और उपायुक्त रैंक के थे. इनमें से ज्यादातर के खिलाफ भ्रष्टाचार, घूसखोरी के आरोप हैं. वहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त मंत्रालय का कार्यभार संभालते ही टैक्स विभाग के 12 वरिष्ठ अफसरों को जबरन रिटायर कर दिया था. यानी अब तक कुल 49 अधिकारियों को जबरन रिटायर किया गया है.
क्या है फंडामेंटल रूल 56?
दरअसल, फंडामेंटल रूल 56 का इस्तेमाल ऐसे अधिकारियों पर किया जा सकता है जो 50 से 55 साल की उम्र के हों और 30 साल का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं. सरकार के पास यह अधिकार है कि वह ऐसे अधिकारियों को अनिर्वाय रिटायरमेंट दे सकती है. ऐसा करने के पीछे सरकार का मकसद नॉन-परफॉर्मिंग सरकारी सेवक को रिटायर करना होता है. ऐसे में सरकार यह फैसला लेती है कि कौन से अधिकारी काम के नहीं हैं. यह नियम बहुत पहले से ही प्रभावी है.