केन्द्र सरकार ने प्रस्तावित फाइनेनशियल रेजोल्यूशन एंड डिपॉजिट इंश्योरेंस बिल 2017(एफआरडीआई बिल) के विषय पर कहा है संसद में पेश किए गए बिल में बैंक ग्राहकों के लिए मौजूदा सुरक्षा प्रावधानों में किसी तरह के ऐसे बदलाव की पेशकश नहीं की है जिससे उनके हितों को नुकसान पहुंचे. केन्द्र सरकार ने दावा किया है कि संसद में पेश बिल में प्रस्तावों के जरिए ग्राहकों को अतिरिक्त सुरक्षा देने के साथ-साथ बैंकिंग क्षेत्र में अधिक पारदर्शिता लाने की कोशिश की गई है.
केन्द्र सरकार की यह सफाई उन खबरों को नकारने के लिए दी गई है जिनमें दावा किया जा रहा था कि एफआरडीआई बिल में किए गए बेल-इन प्रावधानों से बैंक के ग्राहकों की जमा रकम पर खतरा आ सकता है. केन्द्र सरकार ने इन भ्रांतियों को नकारते हुए कहा है कि 11 अगस्त 2017 को लोकसभा में पेश एफआरडीआई बिल मौजूदा समय में संसद की ज्वाइंट समिति द्वारा विचाराधीन है. वहीं ज्वाइंट समिति इस बिल पर सभी हितधारकों से राय लेने का काम कर रही है जिससे बैंकों के स्वास्थ और बैंक ग्राहकों के सुरक्षा मानदंडों को अधिक मजबूत किया जा सके.
Provisions of the Financial Resolution and Deposit Insurance Bill, 2017 are meant to protect the interests of the depositors;For full details, please Log on: https://t.co/LjJlhNMOJH
— Ministry of Finance (@FinMinIndia) December 7, 2017
केन्द्र सरकार के मुताबिक मौजूदा समय में बैंक के प्रत्येक ग्राहक को 1 लाख रुपये तक के डिपॉजिट को डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन के तहत सुरक्षा दी जाती है. वहीं 1 लाख रुपये से अधिक के डिपॉजिट को किसी तरह की सुरक्षा नहीं दी जाती और उसे असुरक्षित ऋणदाता के दावे के समकक्ष माना जाता है. लिहाजा, प्रस्तावित बिल में केन्द्र सरकार ने मौजूदा सुरक्षा देने के साथ-साथ असुरक्षित पैसे के भी सुरक्षा मानदंड को बढ़ाने की पेशकश की है.
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केन्द्र सरकार का दावा है कि एफआरडीआई बिल बैंक ग्राहकों के हितों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है जबकि अन्य जगहों पर बेल-इन प्रावधानों में क्रेडिटर और डिपॉजिटर के मंजूरी का प्रावधान नहीं रहता है. वहीं प्रस्तावित कानून में सरकारी बैंको समेत सभी बैंकों के फाइनेनसिंग और रेजोल्यूशन की सरकार की शक्तियों में भी किसी कटौती का प्रस्ताव नही किया गया है. लिहाजा सरकारी बैंकों को सरकार की निहित गारंटी में किसी तरह का बदलाव नहीं किया जाएगा.
The FRDI Bill will strengthen the system by adding a comprehensive resolution regime that will help ensure that, in the rare event of failure of a financial service provider, there is a system of quick, orderly and efficient resolution in favour of depositors.
— Ministry of Finance (@FinMinIndia) December 7, 2017
In India, all possible steps and policy measures are taken to prevent the failure of banks and protection of interests of depositors (e.g. issue of directions / prompt corrective action measures, capital adequacy and prudential norms).
— Ministry of Finance (@FinMinIndia) December 7, 2017
The FRDI Bill does not propose in any way to limit the scope of powers for the Government to extend financing and resolution support to banks, including public sector banks. Government’s implicit guarantee for public sector banks remains unaffected.
— Ministry of Finance (@FinMinIndia) December 7, 2017
Besides providing similar protection /guarantee of Rs.1 lakh to depositors,as it exists today, the rights of uninsured depositors are being placed at an elevated status in the FRDI Bill compared to existing legal arrangements over the unsecured creditors and even Government dues.
— Ministry of Finance (@FinMinIndia) December 7, 2017
The FRDI Bill is far more depositor friendly than many other jurisdictions, which provide for statutory bail-in, where consent of creditors / depositors is not required for bail-in.
— Ministry of Finance (@FinMinIndia) December 7, 2017
केन्द्र सरकार ने दावा किया है कि देश के बैंकों के पास पर्याप्त कैपिटल मौजूद है और उनकी निगरानी भी दुरुस्त है जिससे उनके स्वास्थ और सुरक्षा की गारंटी मिलती है. मौजूदा कानून बैंकों की ईमानदारी, सुरक्षा और स्वास्थ को सुनिश्चित करते हैं. केन्द्र सरकार ने दावा किया है कि बैंकों की मजबूती और ग्राहकों की पूरी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए केन्द्र सरकार सभी जरूरी कदम उठा रही है.
लिहाजा, प्रस्तावित एफआरडीआई बिल से देश की बैंकिंग व्यवस्था को और मजबूत करने के लिए नया रेजोल्यूशन ढांचा खड़ा किया जाएगा जिससे यदि की बैंक वित्तीय सेवा देने में नाकाम होता है तो बैंक ग्राहकों के हित में जल्द से जल्द फैसला लिया जा सके.