बीते 1 सितंबर से देश के अधिकतर राज्यों में नया मोटर व्हीकल एक्ट लागू है. इसके लागू होने के बाद ट्रैफिक नियम तोड़ने पर लोगों को भारी जुर्माना देना पड़ रहा है. हाल ही में देश की राजधानी दिल्ली में एक ट्रक का 2 लाख रुपये से अधिक की रकम का चालान कटा है. यह अब तक का सबसे महंगा चालान है. इस चालान को बाकायदा अदालत में जमा भी कराया गया. लेकिन सवाल है कि देश के अलग-अलग राज्यों में जो चालान काटे जा रहे हैं वो रकम किसके खाते में जा रहा है. आइए जानते हैं इस सवाल का जवाब...
किसके खाते में जाती है चालान की राशि?
किसी राज्य में ट्रैफिक पुलिस द्वारा काटे गए चालान से मिलने वाली रकम राज्य सरकार के खाते में जाती है. उदाहरण के लिए अगर आपके कार का चालान पटना में कटा है तो उससे मिलने वाली रकम बिहार सरकार के परिवहन मंत्रालय के खाते में जाएगी. वहीं केंद्र शासित प्रदेशों में चालान की राशि केंद्र सरकार के खाते में जाती है.
हालांकि सिर्फ दिल्ली के मामले में चालान को लेकर नियम में मामूली बदलाव होता है. दरअसल, दिल्ली की ट्रैफिक पुलिस केंद्र सरकार के अधीन आती है जबकि स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी दिल्ली सरकार के लिए जिम्मेदार होती है. ट्रैफिक पुलिस और स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी, दोनों को ही दिल्ली में चालान काटने का अधिकार है.
अगर कोर्ट में मामला पहुंच जाए तो...
कई बार ऐसा होता है कि चालान की राशि अदालत में जमा की जाती है तो ऐसी परिस्थिति में क्या होता है? यह सवाल जब हमने पटना हाईकोर्ट के सीनियर वकील धीरेंद्र कुमार से पूछा तो उन्होंने बताया, '' ऐसी स्थिति में भी चालान की राशि राज्य सरकार को ही जाती है. हालांकि दिल्ली समेत अन्य केंद्र शासित राज्यों में यह पैमाना बदल जाता है.'' धीरेंद्र कुमार के मुताबिक अगर दिल्ली में ट्रैफिक पुलिस चालान काटती है तो वह राशि केंद्र सरकार के खाते में जाएगी. इसी तरह अगर स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी ने चालान काटा है तो यह राशि दिल्ली सरकार के खाते में जाएगी क्योंकि राज्य का परिवहन विभाग दिल्ली सरकार के अधीन आता है.
अगर नेशनल हाईवे पर चालान कट जाए तो...
अगर नेशनल हाईवे पर चालान कटता है तो ऐसी स्थिति में जुर्माने की राशि केंद्र और राज्य सरकार के बीच बंट जाती है. वहीं स्टेट हाईवे पर कटने वाले चालान की राशि राज्य सरकार के खाते में जाती है. वहीं दिल्ली के मामले में एक बार फिर यह देखा जाता है कि चालान काटने वाली ट्रैफिक पुलिस है या स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी. दिल्ली के ट्रांसपोर्ट सिस्टम को लेकर राज्य सरकार को सुझाव देने वाले वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टिट्यूट (WRI) के डायरेक्टर माधव पाई ने बताया कि कई बार चालान राशि को सेफ्टी फंड बनाकर कलेक्ट किया जाता है.
अब तक के 3 बड़े चालान
- बीते 12 सितंबर को सबसे बड़ा चालान दिल्ली में एक ट्रक का कटा है. इस ट्रक के चालान की जुर्माना राशि थी 2,00, 500 रुपये है. यह चालान दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने मुकरबा चौक पर काटा था. ओवरलोडिंग में काटे गए इस चालान की जुर्माना राशि ट्रक मालिक द्वारा अदालत में भरी गई.
- बीते 5 सितंबर को दिल्ली में ही राजस्थान नंबर के एक ट्रक पर 1,41,700 रुपये का जुर्माना लगा था. इसका जुर्माना राशि चार दिन बाद 9 सितंबर को रोहिणी की ट्रैफिक कोर्ट में जमा कराई गई थी. यह चालान भी ओवरलोडिंग को लेकर ही किया गया था।
- बीते 3 सितंबर को ओडिशा में एक ट्रक ड्राइवर पर 86,500 रुपये का जुर्माना लगाया गया. संभलपुर रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस (RTO) ने यह जुर्माना लगाया. हालांकि 6 सितंबर को 70 हजार रुपये के सेटेलमेंट रकम भरने के बाद ट्रक ड्राइवर को ट्रक ले जाने दिया गया.
हर राज्य में एक जैसी स्थिति नहीं
ट्रैफिक के नए नियम और चालान की राशि हर राज्य में एक जैसी हो, ये जरूरी नहीं है. अगर राज्य चाहें तो इस नियमों या चालान की राशि में राहत दे सकते हैं. इसी के तहत गुजरात और उत्तराखंड जैसे राज्यों ने लोगों को राहत दी है. वहीं राज्यों के पास इस नए नियम को खारिज करने का भी अधिकार है. यही वजह है कि पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र समेत कई बड़े राज्यों में ट्रैफिक के नए नियम नहीं लागू हैं.