वर्ल्ड बैंक की कारोबार सुगमता रैंकिंग 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस इंडेक्स' में भारत ने जबरदस्त छलांग लगाई है. ईज ऑफ डूइंग बिजनेस इंडेक्स में भारत 23 अंकों के उछाल के साथ 77वें पायदान पर पहुंच गया है. विश्व बैंक की यह रैंकिंग बुधवार को जारी की गई. माना जा रहा है कि इससे भारत को अधिक विदेशी निवेश आकर्षित करने में मदद मिलेगी.
डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी एंड प्रोमोशन (DIPP) के सेक्रेटरी रमेश अभिषेक ने बताया कि साल 2017 में भारत ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में 100वें स्थान पर था. पिछले 2 वर्षों में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस इंडेक्स की रैंकिंग में सुधार करने वाले टॉप 10 देशों में भारत भी शामिल है. वहीं, दक्षिण एशियाई देशों में भारत की रैंक फर्स्ट है. इससे पहले साल 2014 में भारत 6वें स्थान पर था. केन्द्रीय रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय के बीच जारी विवाद के बीच ईज ऑफ डूइंग बिजनेस इंडेक्स में भारत की रैंकिंग में सुधार की खबर सामने आई है.
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस पर बोलते हुए DIPP के सचिव ने कहा कि दिल्ली और मुंबई में ऑनलाइन सिंगल विंडो के जरिए व्यवस्था को बेहतर बनाया गया है. इसके अलावा वित्तमंत्री जेटली ने ईज ऑफ डूइंग बिजनेस पर अपनी बात रखते हुए कहा कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस इंडेक्स में भारत ने पिछले चार साल में काफी सुधार हुआ है. जब मोदी सरकार सत्ता में आई, तब भारत इस रैंकिंग में 142वें स्थान पर था.
A snapshot of India's indicator wise improvement in #EaseOfDoingBusiness rankings from 2017 to 2018 pic.twitter.com/r8wWSOVYkw
— PIB India (@PIB_India) October 31, 2018
जेटली ने कहा कि जब पीएम मोदी सत्ता में आए थे, तो उन्होंने कहा था कि हमको इस इंडेक्स में 50 पायदान पर आना है. हम इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. साल 2014 में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस इंडेक्स में भारत 142 और साल 2017 में 100वें पायदान था. अब इस इंडेक्स में भारत 77वें पायदान पर पहुंचा गया है.
नरेंद्र मोदी सरकार के लिए यह रैंकिंग राहत की बात है. अगले साल होने वाले आम चुनाव से पहले सरकार को विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी दलों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ रहा है. वर्ल्ड बैंक की कारोबार सुगमता पर साल 2019 की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया कि देश में कारोबार शुरू करने और उसमें सुगमता से संबंधित 10 मानदंडों में से 6 में भारत की स्थिति सुधरी है.
जेटली ने कहा कि कंस्ट्रक्शन परमिट के क्षेत्र में 129 अंकों का सुधार हुआ है, जबकि Trading Across Borders में 66 अंक, Starting a business में 19 अंक, Getting Credit में 7, Getting Electricity में 5 अंक, Enforcing Contracts में एक अंक के सुधार हुए हैं.
India has shown highest improvement (53 ranks) in 2 years by any large country since 2011. It is the first BRICS and South Asian nation to be recognized as top improver in consecutive years.@sureshpprabhu @DIPPGOI @arunjaitley #EaseOfDoingBusiness pic.twitter.com/saVueJOiyE
— PIB India (@PIB_India) October 31, 2018
बता दें कि जब साल 2014 में मोदी सरकार सत्ता में आई थी, तब भारत कारोबार सुगमता के मामले में 190 देशों की सूची में 142वें स्थान पर था. पिछले साल भारत की रैंकिंग 131वें से 100वें स्थान पर आ गई थी. कारोबार सुगमता रैंकिंग में न्यूजीलैंड शीर्ष पर है. इसके बाद क्रमशः सिंगापुर, डेनमार्क और हांगकांग का नंबर आता है. सूची में अमेरिका आठवें, चीन 46वें और पाकिस्तान 136वें स्थान पर हैं. वर्ल्ड बैंक ने इस मामले में सबसे अधिक सुधार करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में भारत को 10वें स्थान पर रखा है.
उधर, RBI और वित्त मंत्रालय के बीच जारी विवाद पर पूछे गए सवाल पर जेटली ने कहा कि अब वो इस मुद्दे पर ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहते हैं, क्योंकि वो इस मुद्दे पर पहले ही बोल चुके हैं. बता दें कि मंगलवार को वित्तमंत्री अरुण जेटली ने एनपीए के लिए सीधे तौर पर केंद्रीय बैंक को जिम्मेदार ठहराया था. जेटली ने कहा था कि साल 2008 से लेकर 2014 के बीच अंधाधुंध लोन देने वाले बैंकों पर आरबीआई लगाम नहीं लगा सका. उन्होंने कहा था कि इसी के चलते NPA का संकट बढ़ा है. इससे पहले जेटली ने मंगलवार को FSDC की एक बैठक भी की, जिसमें रिजर्व बैंक के गवर्नर और चारों डिप्टी गवर्नर भी मौजूद थे.
वहीं, केंद्रीय बैंक अपनी ‘आजादी’ की बात पुरजोर तरीके से उठा रहा है. शुक्रवार को आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल वी आचार्य ने कहा था कि केंद्रीय बैंक की आजादी की उपेक्षा करना ‘बड़ा घातक’ हो सकता है. उनकी इस टिप्पणी को रिजर्व बैंक के नीतिगत रुख में नरमी लाने व उसकी शक्तियों को कम करने के लिए सरकार के दबाव और केंद्रीय बैंक की ओर से उसके प्रतिरोध के रूप में देखा जा रहा है.