वित्त मंत्री पी. चिदंबरम अर्थव्यवस्था में जान फूंकने की पुरजोर कोशिश करते नजर आ रहे हैं. इसके मद्देनजर वे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रमुखों के साथ बैठक करने वाले हैं.
आर्थिक वृद्धि में कमी के मद्देनजर वित्त मंत्री पी चिदंबरम 18 मार्च को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रमुखों के साथ होने वाली बैठक में बैंकों को ज्यादा ऋण देने के लिए कह सकते हैं.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इस बैठक के एजेंडे में प्रत्यक्ष नकदी अंतरण, परिसंपत्ति की घटती गुणवत्ता, ऋण में वृद्धि आदि शामिल हैं.
अर्थव्यवस्था में नरमी के मद्देनजर पिछले कई महीनों से बैंकों की गैर निष्पादित आस्तियां (एनपीए) बढ़ रही हैं. भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक और सेंट्रल बैंक आफ इंडिया समेत कुछ सरकारी बैंकों का एनपीए दिसंबर 2012 तक कुल परिसंपत्ति के चार फीसद के स्तर को पार कर गया है.
दिसंबर 2012 तक सरकारी बैंकों का कुल एनपीए 47,091 करोड़ रुपये बढ़कर 1,84,193 करोड़ रुपये हो गया जो मार्च 2012 में 1,37,102 करोड़ रुपये था.
सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में सूक्ष्म, लघु और मझोले उपक्रम (एमएसएमई), कृषि, बुनियादी ढांचा और आवास क्षेत्र को दिया जाने वाले ऋण के विस्तार पर भी विचार किया जाएगा.
यह बैठक भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति की मध्य तिमाही समीक्षा से एक दिन पहले होगी. उम्मीद की जा रही है कि रिजर्व बैंक वृद्धि को प्रोत्साहन के लिए ब्याज दरों में कटौती कर सकता है.
इससे पहले 29 जनवरी को मौद्रिक नीति की तीसरी तिमाही की समीक्षा में केंद्रीय बैंक ने नीतिगत दरों में 0.25 फीसद की कटौती की थी. इसके अलावा नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में भी इतनी ही कटौती की गई थी जिससे बैंकों के पास ऋण देने और अपनी अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए 18,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी उपलब्ध हुई थी.