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चीन में ब्याज दर कम होने के बाद भारत में बढ़ी कटौती की उम्मीद

सुस्त आर्थिक गतिविधियों को सहारा देने के लिए चीन के सेंट्रल बैंक ने रविवार को एक बार फिर कंपनियों को सस्ते कर्ज मुहैया कराने के लिए ब्याज दरों में कटौती की है. पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने ब्याज दर को 25 बेसिस प्वाइंट घटाकर 5.1 फीसदी कर दिया है.

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सेंट्रल बैंक, चीन
सेंट्रल बैंक, चीन

सुस्त आर्थिक गतिविधियों को सहारा देने के लिए चीन के सेंट्रल बैंक ने रविवार को एक बार फिर कंपनियों को सस्ते कर्ज मुहैया कराने के लिए ब्याज दरों में कटौती की है. पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने ब्याज दर को 25 बेसिस प्वाइंट घटाकर 5.1 फीसदी कर दिया है.

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नवंबर 2014 से लेकर अब तक चीन में ब्याज दरों की यह तीसरी कटौती है. इसके साथ ही सेंट्रल बैंक ने डिपॉजिट रेट में भी 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती करते हुए 2.25 फीसदी कर दी है. नई दरें सोमवार सुबह (11 मई) से लागू हो गई हैं.

ब्याज दरों में और भी कटौती का अनुमान
बाजार के विशेषज्ञों का मानना है कि चीन के सेंट्रल बैंक ने अप्रैल के कमजोर ट्रेड डाटा और महंगाई के आए नए आंकड़ों के बाद आर्थिक गतिविधियों को तेजी देने के लिए यह कदम उठाए हैं. सेंट्रल बैंक के इस कदम से साफ है कि चीन की अर्थव्यवस्था पर कमजोर घरेलू और विदेशी मांग का दबाव कायम है. गौरतलब है कि विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था पर कर्ज का बोझ जीडीपी का लगभग 280 फीसदी हो गया है. इसके साथ ही विश्व की अन्य बड़ी आर्थिक शक्तियों को भी भारी कर्ज का दबाव देखना पड़ रहा है. वहीं चीन में महंगाई दर में इजाफा उम्मीद के मुताबिक कम हो रहा है जिससे आर्थशास्त्रियों को डिफ्लेशन का खतरा बढ़ता दिख रहा है. बाजार के जानकारों ने सेंट्रल बैंक के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि आने वाले दिनों में आर्थव्यवस्था पर दबाव को देखते हुए चीन में ब्याज दरों में और भी कटौती की जा सकती है.

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आरबीआई कर सकता है ब्याज दरों में कटौती
फंडामेंटल एनालिस्ट विवेक मित्तल का मानना है पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना के फैसला का सीधा असर भारत के मेटल और माइनिंग सेक्टर पर पड़ेगा. आयरन ओर माइनिंग करने वाली कंपनियों के शेयरों में तेजी की उम्मीद है. विशेषज्ञों का मानना है कि चीन में बड़े आर्थिक फैसलों के साथ ही भारत में भी नीतिगत स्तर पर हलचल तेज हो जाती है. लिहाजा, बाजार के जानकार उम्मीद लगा रहे हैं कि अगले महीने 2 जून को आने वाली पॉलिसी में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ब्याज दरों में कटौती कर सकता है.

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