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कोल इंडिया-एनटीपीसी तकरार पर अहम बैठक जल्द

सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों- कोल इंडिया लिमिटेड और एनटीपीसी के बीच चल रही तकरार के अंतिम निपटान के लिये सरकारी अधिकारियों के साथ एक त्रिपक्षीय बैठक जल्द होगी.

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सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों- कोल इंडिया लिमिटेड और एनटीपीसी के बीच चल रही तकरार के अंतिम निपटान के लिये सरकारी अधिकारियों के साथ एक त्रिपक्षीय बैठक जल्द होगी.

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ईस्टर्न कोलफील्ड्स के महाप्रबंधक और चेयरमैन के तकनीकी सचिव निलाद्री रॉय ने बताया, ‘एनटीपीसी ने एक जनवरी से 31 मार्च 2013 के दौरान बकाया 1,000 करोड़ रुपये में से 150 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है. हमने माल के लोडिंग बिंदु पर संयुक्त सैंपलिंग के साथ आपूर्ति शुरु कर दी है.’

उन्होंने कहा, ‘मामले के अंतिम निपटान के लिये सरकारी अधिकारियों की उपस्थिति में एनटीपीसी के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक जल्द होगी.’ कोल इंडिया लिमिटेड की सहायक ईकाई ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की कोयला खानों से एनटीपीसी के बिजली कारखानों को कोयले की आपूर्ति एक अप्रैल से रोक दी गई. देश की सबसे बड़ी बिजली कंपनी एनटीपीसी की तरफ कोयला आपूर्ति का बकाया कथित तौर पर 1,000 करोड़ रुपये तक पहुंच जाने के बाद यह कदम उठाया गया.

ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के अनुसार एनटीपीसी उसके राजमहल कोयले के लिये 360 रुपये प्रतिटन की दर से भुगतान कर रही है जबकि इस कोयले का अधिसूचित दाम 670 रुपये प्रतिटन है.

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रॉय ने कहा, ‘एनटीपीसी द्वारा दाम में कटौती उसकी कोयले की गुणवत्ता के आंतरिक आकलन पर आधारित है. 4 अप्रैल से कोयले के संयुक्त तौर पर रखे गये नमूनों से प्रस्तावित कोयले की गुणवत्ता के अनुरुप आपूर्ति की जा रही है.’

कोल इंडिया और एनटीपीसी के बीच कोयले की गुणवत्ता और मूल्य को लेकर तकरार उस समय शुरू हुई जब कोयले के दाम ‘यूजफुल हीट वैल्यू-यूएचवी’ प्रणाली से बदलकर ‘ग्रॉस कैलोरिफिक वैल्यू-जीसीवी’ में अमल में लाई गई. इसके बाद से ही एनटीपीसी के साथ कोयले की गुणवत्ता और मूल्य को लेकर विवाद खड़ा हो गया.

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