मथुरा और पलवल के बीच स्पेनिश डिब्बों से बनी टैल्गो ट्रेन को कैपेसिटी के मुताबिक रेत के बोरियां रखकर 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर सफलतापूर्वक चलाकर ट्रायल किया गया. गुरुवार को किए गए टैल्गो ट्रेन ने ट्रायल में मथुरा से पलवल के बीच की दूरी महज 36 मिनट में तय कर ली. गई.
रेलवे बोर्ड के एक अधिकारी के मुताबिक मथुरा और पलवल के बीच 84 किलोमीटर की दूरी में से सिर्फ 60 किलोमीटर का हिस्सा ऐसा है जिस पर टैल्गो ट्रेन को 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलाया गया. इसी के साथ टैल्गो ट्रायल ने एक तरह से सफलता हासिल कर ली है. अभी इसी ट्रैक पर टैल्गो ट्रेन का एक परीक्षण बाकी है जो 25 जुलाई को किया जाएगा.
25 जुलाई को 180 की स्पीड पर होगा इमरजेंसी ब्रेक का टेस्ट
टैल्गो ट्रेन का 25 तारीख को होने वाला परीक्षण कुछ खास है. मथुरा पलवल के बीच टैल्गो ट्रेन का इस दिन इमरजेंसी ब्रेकिंग टेस्ट किया जाएगा. इस परीक्षण में टैल्गो ट्रेन को 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर ब्रेक लगाकर रोका जाएगा. इस परीक्षण में खरा उतरने के बाद आरडीएसओ की टीमटैल्गो ट्रेन से मिले आंकड़ों का अध्ययन करके 10 अगस्त से पहले पहले अपनी रिपोर्ट देगी. आरडीएसओ की रिपोर्ट में सहमति मिलने के बाद स्पेनिश डिब्बों को अगस्त में ही दिल्ली और मुंबई के बीच चलाकर देखा जाएगा.
13 जुलाई को हुआ 180 की रफ्तार पर सफल ट्रायल
स्पेन की ट्रेन टैल्गो को मथुरा और पलवल के बीच ट्रायल 9 जुलाई से शुरू हुआ था. पहले दिन ट्रेन को 120 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलाया गया. उसके बाद क्रमश: 130, 140, 150, 160 और 170 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से टैल्गो को चलाकर देखा गया. 13 जुलाई को इस ट्रेन का 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर सफल परीक्षण किया गया.
भारत की सबसे तेज चलने वाली ट्रेन बनी
खास बात ये है कि मथुरा और पलवल के बीच 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन दौड़ाना भारतीय रेलवे के लिए रफ्तार का नया रिकॉर्ड है. देश में अब तक सबसे तेज चलने वाली गतिमान एक्सप्रेस की अधिकतम रफ्तार 160 किलोमीटर प्रति घंटा ही है.
बरेली और मुरादाबाद के बीच विदेशी डिब्बों से बनी ट्रेन को भारतीय इंजन की ताकत से 115 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर 29 मई से 11 जून तक चलाकर देखा गया है और इसके मिली तमाम जानकारी का आरडीएसओ ने विश्लेषण किया है. आरडीएसओ के इंजीनियर्स ने टैल्गो की ट्रेन को भारतीय ट्रैक पर 115 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर फिट पाया है.
भारतीय रेल के मुकाबले व्हील भी आधे
टैल्गो कंपनी के डिब्बों की खासियत ये है कि ये तेज घुमावदार मोड़ों पर भी तेज रफ्तार से चल सकते हैं. टैल्गो डिब्बों में भारतीय रेल के मुकाबले आधे से भी कम चक्के लगे हैं. मसलन एक रेल डिब्बे में आठ चक्के लगाए जाते हैं. लेकिन टैल्गो के प्रति डिब्बे में दो चक्के लगे होते हैं. इसके अलावा टैल्गो के डिब्बे एल्यूमिनियम के बने होने की वजह से भारतीय रेल डिब्बों के 68 टन के वजन के मुकाबले महज 16 टन के ही होते हैं. लेकिन इनकी कीमत की बात करें तो भारतीय रेल डिब्बों के मुकाबले इनकी कीमत तीन गुना से ज्यादा पड़ेगी.
10-11 घंटे में तय होगी दिल्ली-मुंबई की दूरी
रेलवे बोर्ड के मुताबिक मथुरा ट्रॉयल पूरा होने के बाद टैल्गो की ट्रेन को मुंबई और नई दिल्ली के बीच अगस्त में चलाकर देखा जाएगा. जानकारों का कहना है कि इस समय शताब्दी ट्रेनों की औसत स्पीड 80 किलोमीटर प्रति घंटा रहती है. टैल्गो में औसत स्पीड 130 किलोमीटर प्रति घंटा रहने की संभावना है. इसका सीधा सा मतलब ये हुआ कि मुंबई और नई दिल्ली के बीच 1380 किलोमीटर की टैल्गो ट्रेन 10 से 11 घंटे के बीच तय करेगी.