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कोल ब्लॉक नीलामी की प्रक्रिया गुरुवार से होगी शुरू

कोल ब्लॉक की नीलामी की प्रक्रिया गुरुवार से फिर शुरू हो जाएगी. कंपनियों के रजिस्ट्रेशन के बाद नीलामी की शुरुआत उन 24 खदानों के साथ होगी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने पहले रद्द कर दिया था. पहले चरण में 7 ब्लॉक बिजली उत्पादकों को और बाकी स्टील व आयरन ओर कंपनियों को दिए जाएंगे. नीलामी से होने वाली पूरी आमदनी राज्यों को दे दी जाएगी.

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कोल ब्लॉक की नीलामी की प्रक्रिया गुरुवार से फिर शुरू हो जाएगी. कंपनियों के रजिस्ट्रेशन के बाद नीलामी की शुरुआत उन 24 खदानों के साथ होगी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने पहले रद्द कर दिया था. पहले चरण में 7 ब्लॉक बिजली उत्पादकों को और बाकी स्टील व आयरन ओर कंपनियों को दिए जाएंगे. नीलामी से होने वाली पूरी आमदनी राज्यों को दे दी जाएगी.

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कोयला अध्यादेश फिर से जारी करने को मंजूरी
केंद्रीय मंत्रिमंडल कोयला अध्यादेश को फिर से जारी करने की मंजूरी दे चुका है. इसमें कोयला ब्लॉकों को निजी कंपनियों के खुद के इस्तेमाल के लिए ई-नीलाम करने और राज्य व केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को सीधे आवंटित करने के प्रावधान हैं.

बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद सूत्रों ने बताया, 'मंत्रिमंडल ने कोयला अध्यादेश को मंजूरी दे दी है.' सरकार को यह अध्यादेश फिर से जारी करने की जरूरत पड़ी है, क्योंकि राज्यसभा में कोयला खान (विशेष प्रावधान) विधेयक पर चर्चा नहीं हो सकी.

कोयला खान (विशेष प्रावधान) विधेयक में उन 204 कोयला खानों की ताजा नीलामी का प्रावधान है, जिनका आवंटन सितंबर में सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था. लोकसभा ने इसे 12 दिसंबर को पारित कर दिया था.

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मंत्रिमंडल ने इससे पहले 20 अक्टूबर को इससे पहले वाला अध्यादेश जारी करने की सिफारिश की थी, ताकि कोयला ब्लॉकों की ई-नीलामी की व्यवस्था की जा सके.

यह पहल सुप्रीम कोर्ट द्वारा 1993 में विभिन्न कंपनियों को आवंटित 204 कोयला ब्लॉकों का आवंटन रद्द किए जाने के बाद की गई है. अध्यादेश को फिर से जारी करने से कोयला मंत्रालय पहले चरण में 101 खानों के आवंटन का रास्ता साफ होगा, जिनमें से 65 खानों की नीलामी होगी.

इसके अलावा 36 ब्लॉक सीधे सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को दिए जाएंगे. सरकार ने पहले चरण में नीलामी या आवंटित की जाने वाली कोयला खानों की संख्या 92 से बढ़ाकर 101 कर दी है.

पहले चरण में जिन 101 खानों का आवंटन या नीलामी की जानी है, उनमें 63 को बिजली तथा बाकी को इस्पात और सीमेंट जैसे क्षेत्रों को दिया जाना है.

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