सार्वजनिक क्षेत्र की कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) सालाना उत्पादन लक्ष्य तय करने की प्रणाली को खत्म करने के पक्ष में है. कंपनी चालू वित्त वर्ष के लिए तय उत्पादन लक्ष्य से चूक सकती है.
कंपनी चाहती है कि सरकार प्रदर्शन का आकलन उत्पादन के बजाय कोयला बिक्री या कोयला आपूर्ति से करे. कोल इंडिया के पास बड़ी मात्रा में कोयले का भंडार है जिसका उपयोग उत्पादन में किसी तरह की कमी की भरपाई के लिए किया जा सकता है ताकि लक्ष्य हासिल किया जा सके.
सीआईएल के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक एस नरसिंह राव ने साक्षात्कार में कहा, ‘हमने सोच-समझकर फैसला किया है कि अगले साल हम उत्पादन लक्ष्य लेकर नहीं चलेंगे. ईंधन आपूर्ति महत्वपूर्ण है. इसलिए हम सिर्फ कोयला बिक्री या कोयला उठाव पर ध्यान केंद्रित करेंगे.’
राव ने कहा, ‘ये लक्ष्य कोई लक्ष्य नहीं है. अंतिम लक्ष्य है उठाव.’ महारत्न कंपनी ने योजना आयोग में यह प्रस्ताव रखा है लेकिन कोयला मंत्रालय इस प्रस्ताव पर सहमत नहीं है.
राव ने कहा, ‘हमने योजना आयोग को अपनी बात समझा दी है लेकिन सहमति ज्ञापन (एमओयू) समिति और कोयला मंत्रालय कोयला उत्पादन लक्ष्य पर जोर दे रहे हैं. हमें उनके साथ इस मामले का हल निकाला है.’
कोल इंडिया ने अगले महीने से शुरू हो रहे वित्त वर्ष के लिए 49.2 करोड़ टन की बिक्री का लक्ष्य रखा गया है जबकि 2012-13 के लिए बिक्री लक्ष्य 47 करोड़ टन था. चालू वित्त वर्ष में अभी तक कंपनी की बिक्री 42.55 करोड़ टन रही है.