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RCEP डील पर कंफ्यूज कांग्रेस! अलग-अलग बयान दे रहे पार्टी के नेता

आसियान (ASEAN) के दस देशों और चीन, जापान सहित कुल 15 ​देशों ने एक बड़ा क्षेत्रीय आ​र्थिक समझौता (RCEP) किया है. लेकिन देशहित का हवाला देकर मोदी सरकार ने इस समझौते से बाहर रहने का निर्णय लिया. इस समझौते से भारत का बाहर रहना सही है या नहीं इसको लेकर कांग्रेस में भ्रम की स्थिति है.

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RCEP पर कांग्रेस का रुख साफ नहीं (फाइल फोटो)
RCEP पर कांग्रेस का रुख साफ नहीं (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • RCEP को बताया जा रहा दुनिया का बड़ा समझौता
  • इसमें आसियान सहित कुल 15 देश शामिल हुए
  • देशहित का हवाला देकर भारत इससे बाहर

आसियान (ASEAN) के दस देशों और चीन, जापान सहित कुल 15 ​देशों ने एक बड़ा क्षेत्रीय आ​र्थिक समझौता (RCEP) किया है. भारत को भी आमंत्रण था, लेकिन देशहित का हवाला देकर मोदी सरकार ने इस समझौते से बाहर रहने का निर्णय लिया. लेकिन इस समझौते से भारत का बाहर रहना सही है या नहीं इसको लेकर कांग्रेस में भ्रम की स्थिति है और उसके नेता अलग-अलग बयान दे रहे हैं. 

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इसे दुनिया का सबसे बड़ा समझौता बताया जा रहा है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने भारत के इससे बाहर रहने को 'दुर्भाग्यपूर्ण और गलत सलाह पर आधारित' तथा 'रणनीतिक भूल' बताया है. तो पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम ने कहा कि इस पर संसद में बहस होनी चाहिए थी. लेकिन बाद में उन्होंने कहा कि पार्टी में इस पर आम राय बनने के बाद ही वह कुछ कहेंगे. 

दूसरी तरफ, पूर्व पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने कहा कि आरसीईपी वास्तव में 'रीजनल चाइना एक्सपैंशन प्रोग्राम' है और इसमें शामिल न होकर भारत ने सही काम किया है.

क्या है आरसीईपी

आसियान (ASEAN) के दस देशों और चीन, जापान सहित 5 अन्य देशों को मिलाकर कुल 15 ​देशों ने एक बड़ा क्षेत्रीय आर्थिक समझौता (RCEP) किया है. रीजनल कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (आरसीईपी) डील एक ट्रेड एग्रीमेंट है जो कि सदस्य देशों को एक दूसरे के साथ व्यापार में कई सहूलियत देगा. आरसीईपी की नींव डालने वाले 16 देशों में भारत भी शामिल था. 

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आरसीईपी समझौता के प्रस्ताव में कहा गया था कि 10 आसियान देशों (ब्रुनेई, इंडोनेशिया, कंबोडिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम) और 6 अन्य देशों ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, न्यूजीलैंड, दक्षिण कोरिया के बीच एक मुक्त व्यापार समझौता होगा और सभी 16 देश एक-दूसरे को व्यापार में टैक्स में कटौती समेत तमाम आर्थिक छूट देंगे. लेकिन भारत इससे बाहर रहा. 

पिछले साल नवंबर में भारत के अलग होने की वजह से इस डील पर दस्तखत नहीं हो पायी थी, लेकिन इस साल भारत को छोड़कर बाकी 15 देशों ने इस डील पर दस्तखत कर लिया है. 

भारत क्यों हुआ बाहर 

भारत का कहना था कि यह उसके राष्ट्रीय हितों के अनुकूल नहीं है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवंबर 2019 में यह निर्णय लिया कि भारत इस समझौते में शामिल नहीं होगा, तो दुनिया चौंक गयी थी. लेकिन प्रधानमंत्री ने कहा कि देशहित में ऐसा करना जरूरी है. दिलचस्प यह है कि पिछले साल कांग्रेस ने इस डील में शामिल होने का विरोध किया था. हालांकि पहले इसके लिए वार्ता की शुरुआत कांग्रेस ने ही की थी. 

असल में आरसीईपी में शामिल होने के लिए भारत को आसियान देशों, जापान, दक्षिण कोरिया से आने वाली 90 फीसदी वस्तुओं पर से टैरिफ हटाना था. इसके अलावा, चीन, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड से 74 फीसदी सामान टैरिफ फ्री करना था. इसलिए भारत को डर था कि उसका बाजार चीन के सस्ते माल से पट जाएगा. इसी तरह न्यूजीलैंड के डेयरी प्रोडक्ट, कई देशों के फिशरीज प्रोडक्ट के  भारतीय बाजार में पट जाने से किसानों के हितों को काफी नुकसान पहुंचने की आशंका थी. 

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क्या कहा आनंद शर्मा ने 

एक न्यूज एजेंसी के मुताबिक आनंद शर्मा ने कहा, 'क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (RCEP) में भारत का न शामिल होना दुर्भाग्यपूर्ण है और गलत सलाह पर आधारित है. एशिया-प्रशांत के एकीकरण की इस प्रक्रिया का हिस्सा बनना भारत के सामरिक और आर्थिक हित में था. इससे बाहर होकर भारत ने इस बारे में वर्षों तक चलने वाली बातचीत को निरर्थक कर दिया है.'

उन्होंने कहा कि हम इसमें अपने हितों की रक्षा और सुरक्षा के लिए मोलतोल कर सकते थे. गौरतलब है कि मनमोहन सिंह सरकार में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री रहने के दौरान आनंद शर्मा आरसीईपी पर होने वाली वार्ताओं में गहराई से शामिल थे.

चिदंबरम का क्या है तर्क 

पी. चिदंबरम ने पहले ऐसे संकेत दिये कि वे इस समझौते के पक्ष में खड़े हैं, लेकिन बाद में उन्होंने कहा कि इस पर पार्टी का पक्ष स्पष्ट हो जाने के बाद ही कोई राय रखेंगे. 

उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'RCEP का जन्म हुआ, यह दुनिया का सबसे बड़ा व्यापारिक निकाय है.अपने क्षेत्र के 15 देश RCEP के सदस्य हैं, भारत उनमें से नहीं है. RCEP में भारत के शामिल होने के पक्ष और विपक्ष दोनों की दलीलें है, लेकिन यह बहस संसद में या लोगों के बीच या विपक्षी दलों को शामिल करके कभी नहीं हुई.' उन्होंने कहा कि यह एक लोकतंत्र में 'केंद्रीयकृत निर्णय लेने का' एक अस्वीकार्य और बुरा उदाहरण है. 

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जयराम रमेश की अलग राय

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने भी आरसीईपी से भारत के अलग रहने को उचित बताया है. इंडियन एक्सप्रेस अखबार से बातचीत में कहा, 'आरसीईपी वास्तव में रीजनल चाइना एक्सपैंशन प्रोग्राम है और इसमें शामिल न होकर भारत ने ठीक ही किया है.' 

 

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