सरकार ने सोमवार को विवादास्पद सामान्य कर परिवर्जन रोधी नियम (गार) को लागू करने की तारीख दो सालों के लिए टाल दी. अब यह एक अप्रैल 2016 से लागू होगी.
इसके साथ ही विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) में अनिवासी भारतीयों को इसके दायरे से मुक्त कर दिया गया है. केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि सभी बातों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने फैसला किया है कि अध्याय 10ए का प्रावधान एक अप्रैल 2014 की जगह एक अप्रैल 2016 से लागू होगा.
गार की यह व्यवस्था तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने बनाई थी और यह उन कम्पनियों को ध्यान में रखकर बनाया गया था, जो कम कर वाले देशों से भारत में निवेश करते हैं. वित्त मंत्रालय ने पहले कहा था कि वह गार को अप्रैल 2014 से लागू करेगा.
इस फैसले की घोषणा करते हुए वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि सरकार ने पार्थसारथी शोम समिति की प्रमुख सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है. विदेशी निवेशकों की चिंता पर गौर करने के लिए पिछले साल समिति का गठन किया गया था. विदेशी निवेशक गार का विरोध कर रहे हैं.
चिदंबरम ने कहा कि यह कर प्रस्ताव उन विदेशी संस्थागत निवेशकों पर लागू नहीं होगा, जिनका संचालन अनिवासी भारतीयों द्वारा किया जा रहा है. साथ ही यह सुनिश्चित किया जाएगा कि एक आय पर दो बार कर नहीं लगाया जाए.
उन्होंने कहा कि गार की व्यवस्था ऐसे एफआईआई पर लागू नहीं होगी, जो आयकर अधिनियम 1961 की धारा 90 और 90ए के तहत समझौते के तहत कोई लाभ नहीं होना चाहते हैं. गार एफआईआई में निवेश करने वाले अनिवासी भारतीयों पर भी लागू नहीं होगी. वित्त मंत्री ने यह स्पष्ट किया कि अगस्त 2010 से पहले किए गए निवेश पर यह लागू नहीं होगा.
गार का प्रस्ताव 2012-13 के बजट में रखा गया था, जिसका विदेशी और घरेलू निवेशकों ने इस आधार पर विरोध किया था कि कर अधिकारी इसका दुरुपयोग कर उन्हें परेशान कर सकते हैं. संसद में वित्त विधेयक के पारित होने के बाद गार कानून बन चुका है.