कोरोना संकट को देखते हुए अडानी समूह ने अहमदाबाद, लखनऊ और मंगलुरु एयरपोर्ट का कब्जा एयरपोर्ट अथॉरिटी (AAI) से लेने में अभी असमर्थता जताते हुए इसकी डेडलाइन बढ़ाने की मांग की है. इन तोनों एयरपोर्ट का निजीकरण किया जा रहा है.
कोरोना महामारी और इसके बाद लगातार जारी लॉकडाउन की वजह से देश की अर्थव्यवस्था की हालत खराब है. ऐसे में छोटा हो या बड़ा हर तरह का कारोबारी भी परेशान है.
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क्या है मामला
अडानी समूह को पिछले साल काफी आक्रामक बोली में इन तीन एयरपोर्ट का पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) में कॉन्टैक्ट मिला था. अब अडानी समूह ने इस कॉन्ट्रैक्ट के लिए आपातकालीन सुविधा 'फोर्स मैजर' (force majeure) क्लॉज का इस्तेमाल किया है. यह ऐसी सुविधा है जिसके तहत किसी प्राकृतिक आपदा या अन्य बड़े संकट जैसे दंगों, महामारी, अपराध आदि की हालत में संबंधित पक्ष कॉन्ट्रैक्ट की शर्तें मानने के लिए बाध्य नहीं रहते. कानूनी भाषा में ऐसी आपदाओं को 'एक्ट ऑफ गॉड' कहते हैं.
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क्या कहा अडानी ने
एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) को लिखे एक लेटर में अडानी समूह ने मांग की है कि तीनों एयरपोर्ट के लिए 1,000 करोड़ रुपये का जो एसेट ट्रांसफर फीस दिया जाना है, उसको जमा करने की डेडलाइन अगस्त से बढ़ाकर दिसंबर 2020 किया जाए.
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गौरतलब है कि अडानी को साल 2018 में बिडिंग के तहत कुल छह एयरपोर्ट के संचालन एवं विकास का ठेका मिला है. इनमें से तीन एयरपोर्ट लखनऊ, अहमदाबाद और बेंगलुरु के विकास, संचालन और रखरखाव के लिए अडानी ने एयरपोर्ट अथॉरिटी के साथ बाइंडिंग कन्सेसन एग्रीमेंट पर दस्तखत किए हैं. सभी छह एयरपोर्ट के लिए अडानी को करीब 2,000 करोड़ रुपये का एसेट ट्रांसफर फीस देना है.
इसके पहले जीवीके ग्रुप ने भी फोर्स मैजर क्लॉज का इस्तेमाल करते हुए सिटी ऐंड इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (CIDCO) से कहा था कि वह 16,000 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले नवी मुंबई एयरपोर्ट प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य समय से नहीं शुरू कर पाएगा.
(www.businesstoday.in के इनपुट पर आधारित)