अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने कहा है कि कोरोना वायरस से फैली महामारी की वजह से दुनिया की अर्थव्यवस्था की रफ्तार सुस्त हो जाएगी. आईएमएफ ने कहा कि इससे ग्लोबल जीडीपी की ग्रोथ रेट में 0.1 से 0.2 फीसदी तक की कमी आ सकती है.
आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टलिना जॉर्जीवा ने कहा कि इस साल कोरोना वायरस से फैली महामारी वैश्विक आर्थिक वृद्धि को नुकसान पहुंचा सकती है, लेकिन इसके बाद तेजी से आर्थिक सुधार देखने को मिल सकता है.
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आईएमएफ की प्रबंध निदेशक ने दुबई में 'ग्लोबल वीमेंस फोरम' में रविवार को बताया कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के विकास दर में गिरावट आ सकती है, हमारा अनुमान है कि यह गिरावट 0.1-0.2 प्रतिशत के आसपास होगी.'
गौरतलब है रेटिंग एजेंसी मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने वर्ष 2020 के लिए भारत और चीन के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) ग्रोथ अनुमान को घटा दिया है. मूडीज ने कहा कि नोवेल कोरोना वायरस के प्रकोप की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था में जो सुस्ती आई है, उसकी वजह से भारत के जीडीपी ग्रोथ में तेजी की रफ्तार कम हो सकती है. उसने कहा कि भारत में अब किसी भी तरह के सुधार को उम्मीद से कम ही माना जाना चाहिए.
1600 से ज्यादा लोगों की मौत
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक जॉर्जीवा ने कहा कि इस बीमारी से पहले ही 1,600 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और इसका पूरा असर इस बात पर निर्भर करता है कि बीमारी पर कितनी जल्दी काबू पाया जाता है. जॉर्जीवा ने कहा, 'मैं सभी को यह सलाह दूंगी कि जल्दबाजी में किसी निष्कर्ष तक न पहुंचे. अभी भी बहुत कुछ अनिश्चित है. हम पूर्वानुमानों में नहीं, बल्कि परिदृश्यों के साथ काम करते हैं, मुझसे 10 दिन बाद पूछिए.'
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कई सेक्टर पर दिख रहा असर
उन्होंने कहा कि महामारी के असर का पूरा मूल्यांकन करना अभी 'बहुत जल्दी' होगा, लेकिन उन्होंने माना कि इससे पर्यटन और परिवहन जैसे क्षेत्र पहले ही प्रभावित हो चुके हैं. उन्होंने कहा, 'इस बारे में कुछ भी कहना अभी जल्दबाजी होगी, क्योंकि हम नहीं जानते हैं कि ये वायरस कैसा है. हम नहीं जानते हैं कि चीन इस पर कितनी जल्दी काबू पा लेगा. हम नहीं जानते हैं कि क्या यह बाकी दुनिया में फैलेगा.' उन्होंने कहा कि अगर इस पर 'तेजी से काबू पा लिया जाता है' तो तेजी से गिरावट के बाद तेजी से उछाल आ सकता है, जिसे 'वी-प्रभाव' कहा जाता है.