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कोरोना से सहमी दुनिया, भारत के CEA बोले- चीन को व्यापार में मात देने का मौका

चीन में कोरोना वायरस का कहर अब दुनियाभर में फैल रहा है. इस वायरस की वजह से 1 हजार से अधिक लोगों की जान जा चुकी है. 

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चीन से निर्यात बढ़ाने का बेहतर अवसर हो सकता है
चीन से निर्यात बढ़ाने का बेहतर अवसर हो सकता है

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  • भारत, एशिया में चीन के प्रमुख ट्रेड पार्टनरों में से एक है
  • भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा भी काफी ज्यादा है

बीते कुछ समय से कोरोना वायरस की वजह से चीन में अस्थिर माहौल हो गया है. वहीं भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन इसे एक मौके की तरह देखते हैं. कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन का कहना है कि चीनी प्रांत में कोरोना वायरस का प्रकोप, भारत के लिए निर्यात बढ़ाने का बेहतर अवसर हो सकता है.

सुब्रमण्यन ने एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘यह कहना बहुत कठिन है कि ट्रेड के लिहाज से भारत और चीन के रिश्‍तों पर क्‍या असर पड़ेगा. हालांकि, कोरोनो वायरस का प्रकोप भारत के लिए निर्यात-केन्द्रित मॉडल का अनुसरण करने का एक अच्छा अवसर देता है.’’ 

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इस बारे में विस्‍तार से समझाते हुए कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन ने कहा कि चीन कई तरह के कॉम्पोनेंट्स और पार्ट्स का आयात करता है. वहीं उन्हें असेंबल कर निर्यात करता है. भारत भी मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग के मामले में इसी पैटर्न को फॉलो करता है. ऐसे में देखा जाए तो कोरोना वायरस चीन को पछाड़ने का एक अच्छा मौका हो सकता है.

कोरोना बना कहर बढ़ा

भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार का यह बयान ऐसे समय में आया है जब चीन कोरोना वायरस की कहर से त्रस्‍त है. चीन समेत दुनियाभर में इस वायरस की वजह से 1 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं चीन की अर्थव्‍यवस्‍था भी चरमरा गई है. यहां बता दें कि भारत, एशिया में चीन के प्रमुख ट्रेड पार्टनरों में से एक है और उसका चीन के साथ व्यापार घाटा (ट्रेड डेफिसिट) भी काफी ज्यादा है.

जीडीपी को लेकर कही ये बात

जीडीपी ग्रोथ की आंकड़ों के बारे में बात करते हुए सुब्रमण्यन ने कहा कि आर्थिक सर्वेक्षण ने इसे अगले वित्त वर्ष में 6-6.5 प्रतिशत की सीमा में रखा है. उन्होंने कहा, "किसी भी अर्थव्यवस्था में विकास दर स्थिर नहीं होती है. हमें औसत दर को एक दायरे में रखना होता है." इसके साथ ही राजकोषीय घाटे के अनुमान को बढ़ाए जाने का भी सुब्रमण्यन ने बचाव किया है. बता दें कि सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 3.4 फीसदी से बढ़ाकर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.8 फीसदी कर दिया है.

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