विजय माल्या की प्राइवेट एयरलाइंस किंगफिशर को खत्म करने की दिशा में एक ठोस कदम उठाया गया है. अदालत ने इस एयरलाइंस को खत्म करने (वाइंडिंग-अप) की याचिका स्वीकार कर ली है.
आर्थिक समाचार पत्र बिज़नेस स्टैंडर्ड ने बेंगलुरू से खबर दी है कि जस्टिस आनंद बयारेड्डी ने बैंकों के एक गठबंधन की एक याचिका स्वीकार कर ली है.
किंगफिशर ने इस मामले में अपनी पक्ष नहीं रखा, जिससे जज ने मान लिया कि याचिकाकर्ताओं की दलील में दम है और उन्होंने उसे स्वीकार कर लिया. लेनदारों ने कहा कि यह एयरलाइंस कंपनी व्यापारिक रूप से दीवालिया हो गई है और अपनी बकाया राशि देने में असमर्थ हो गई है. किंगफिशर एयरलाइंस पर बैंकों के 7,400 करोड़ रुपये उधार हैं. विभिन्न अदालतों में इससे संबंधित मुकदमे चल रहे हैं.
इसके पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने एयरलाइंस के चेयरमैन विजय माल्या को समन जारी किया था. उन पर आरोप है कि दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट को दिए गए उनके एक करोड़ रुपये के चेक बाउंस हो गए हैं. माल्या को अब जवाब देने के लिए 14 फरवरी को बुलाया गया है.
बैंकों के अलावा एयरलाइंस ने एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया और इनकम टैक्स विभाग की बड़ी राशि भी बकाया रखी है. कर्मचारियों को तो लगभग एक साल से वेतन नहीं मिला है.
उधर, एयरलाइंस ने अदालत से कहा है कि एक निवेश उनकी एयरलाइंस में पैसा लगाने को तैयार हो गया है और उससे बात चल रही है. इसके लिए उसे थोड़ा वक्त चाहिए. अदालत ने उसे 7 मार्च तक का वक्त दिया है.