टाटा संस और कंपनी के निष्कासित चेयरमैन साइरस मिस्त्री के बीच का विवाद बदस्तूर जारी है. साइरस मिस्त्री ने इस मामले में राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण में टाटा संस के खिलाफ शिकायत की है. मिस्त्री ने अपनी शिकायत में कंपनी के बोर्ड स्तर पर कुप्रबंधन और उत्पीड़न का आरोप लगाया है.
साइरस मिस्त्री ने इस शिकायत में कंपनी कानून की धारा 241 का हवाला दिया है. इस धारा के तहत किसी व्यक्ति को कंपनी के नुकसानदायक या वृहत सार्वजनिक हितों के खिलाफ उठाए गए कदमों की एनसीएलटी में शिकायत करने का अधिकार है. इसके साथ ही कंपनी के बोर्ड में गलत ढंग से किए गए बदलाव के खिलाफ अपील का अधिकार देती है.
टाटा और मिस्त्री में आरोप-प्रत्यारोप जारी
इससे पहले टाटा संस ने मिस्त्री पर आरोप लगाया था कि रतन टाटा की जगह नए चेयरमैन के चयन के लिए 2011 में गठित चयन समिति को उन्होंने गुमराह किया था. मिस्त्री ने टाटा समूह के लिए योजनाओं पर बड़े-बड़े बयान दिए, लेकिन वादे के अनुरूप इसके लिए प्रभावी प्रबंधन ढांचा और योजना नहीं दी. टाटा संस की ओर से दिए गए बयान में कहा गया कि मिस्त्री ने वादे के अनुरूप अपनी पारिवारिक कंपनी शापोरजी पल्लोनजी से दूरी नहीं बनाई.
इस आरोप-प्रत्यारोप के दौर में साइरस मिस्त्री भी पीछे नहीं थे और उन्होंने टाटा संस पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे. साथ ही दावा किया था कि टाटा संस के निदेशक विजय सिंह ने अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले में अहम भूमिका निभाई है. विजय सिंह टाटा संस की उस नामांकन और पारिश्रमिक समिति के सदस्य थे, जिसने 28 जून, 2016 को मिस्त्री के प्रदर्शन की समीक्षा की थी.
गौरतलब है कि टाटा संस ने गत 24 अक्तूबर को मिस्त्री को अप्रत्याशित रूप से चेयरमैन पद से हटाने की घोषणा करते हुए रतन टाटा को अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया है. कंपनी ने नए चेयरमैन की तलाश के लिए एक समिति का भी गठन किया हुआ है. टाटा संस और मिस्त्री के बीच जारी इस विवाद का समूह के कारोबार पर भी बुरा असर देखने को मिला है और कंपनी के शेयर में गिरावट देखने को मिली है.