थोक महंगाई दर मार्च 2015 में साल-दर-साल आधार पर नकारात्मक 2.33 फीसदी रही, जो लगातार पांचवें महीने की नकारात्मक वृद्धि दर है. फरवरी में यह नकारात्मक 2.06 फीसदी थी.
महंगाई दर में गिरावट से उद्योग जगत ने भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा मुख्य नीतिगत दरों में कटौती की उम्मीद जताई है. केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय द्वारा बुधवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, ईंधन और खनिज मूल्य में गिरावट ने थोक महंगाई दर में गिरावट में प्रमुख भूमिका निभाई.
थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) से संबंधित आंकड़े के मुताबिक, मार्च में प्याज 36.49 फीसदी महंगा हुआ. इस दौरान दलहन, सब्जियां और फल क्रमश: 13.22 फीसदी, 9.68 फीसदी और 7.48 फीसदी महंगे हुए.
प्राथमिक वस्तुओं का मूल्य 0.8 फीसदी बढ़ा, जबकि विनिर्मित वस्तुओं और ईंधन मूल्य क्रमश: 0.19 फीसदी और 12.56 फीसदी घटा. ईंधन और बिजली श्रेणी में डीजल 12.11 फीसदी सस्ता हुआ, पेट्रोल 17.7 फीसदी सस्ता हुआ और एलपीजी 7.9 फीसदी सस्ता हुआ.
विनिर्मित वस्तुओं में सीमेंट और चूना 8.29 फीसदी महंगा हुआ, जबकि चीनी, चमड़े और लौह उत्पाद क्रमश: 4.24 फीसदी, 2.74 फीसदी और 5.98 फीसदी सस्ता हुए. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, पिछले पांच महीने से थोक महंगाई दर में नकारात्मक वृद्धि दर्ज की जा रही है.
अक्टूबर 2014 में 1.66 फीसदी रहने के बाद यह दर नवंबर 2014, दिसंबर 2014, जनवरी 2015 और फरवरी 2015 में क्रमश: नकारात्मक 0.17 फीसदी, नकारात्मक 0.5 फीसदी, नकारात्मक 0.95 फीसदी और नकारात्मक 2.06 फीसदी रही थी. सोमवार को जारी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आंकड़े के मुताबिक, मार्च में उपभोक्ता महंगाई दर 5.17 फीसदी रही, जो तीन महीने में सबसे कम थी.
भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में कहा था कि कम आधार का अनुकूल प्रभाव समाप्त हो चुका है, जिसके कारण उपभोक्ता महंगाई दर में गिरावट चल रही थी. रिजर्व बैंक ने सात अप्रैल को कहा था, 'दाल, मांस, मछली और दूध जैसे प्रोटीन वाली खाद्य वस्तुओं की महंगाई अब भी अधिक है, जिसके कारण सब्जियों और फलों की कीमतों में गिरावट का असर महंगाई दर पर नहीं दिख रहा है.
भारतीय उद्योग परिसंघ के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने आंकड़े पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा, 'गत महीने की तुलना में महंगाई दर घटी है। इससे भारतीय रिजर्व बैंक को विकास को संबल देने के लिए दरों में कटौती जारी रखना चाहिए.'
फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) की अध्यक्ष ज्योत्सना सूरी ने कहा, 'गत सप्ताह फरवरी के लिए जारी औद्योगिक उत्पादन सूचकांक के आंकड़े बेहतर रहे हैं, जो उत्साहवर्धक है.'
उन्होंने कहा, 'औद्योगिक क्षेत्र में तेजी के लिए इस उछाल को संभाले रखने की जरूरत है. हमें जून 2015 में या उससे पहले रेपो दर में और कटौती की उम्मीद है.' रेपो दर वह दर है, जिसके पर वाणिज्यिक बैंक छोटी अवधि के लिए रिजर्व बैंक से उधार लेते हैं.
इनपुट: IANS