अमेरिका की दवा क्षेत्र की प्रमुख कंपनी मर्क शार्प एंड डोम (एमएसडी) को राहत देते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने भारतीय कंपनी ग्लेनमार्क फार्मास्यूटिकल्स को मधुमेह (डायबिटीज) रोधी दवा जीटा और जीटा-मेट के विनिर्माण और बिक्री पर यह कहते हुए रोक लगा दी कि इसने अमेरिकी कंपनी के पेटेंट का उल्लंघन किया है.
न्यायमूर्ति ए के पाठक ने कहा कि भारतीय कंपनी को एमएसएडी को कानूनी प्रक्रिया के खर्च का भी भुगतान करना होगा. हाई कोर्ट ने कहा कि उक्त मामले में पाए गए तथ्य के मद्देनजर बचाव पक्ष को निषेधाज्ञा के जरिए साइटैग्लिप्टिन फास्फेट मोनोहाइड्रेट या इसके किसी भी तरह लवण या मिश्रण जिससे अभियोजन पक्ष के पेटेंट का उल्लंघन होता है, का वितरण, विज्ञापन, निर्यात, बिक्री की पेशकश या इसके कारोबार से रोका जा रहा है.
इससे पहले एक अंतरिम आदेश में उच्च न्यायालय की पीठ ने ग्लेनमार्क को ऐसी दवा बनाने या इसकी बिक्री से रोक दिया था जिनका उपयोग टाईप-2 डायबिटीज में होता है. हाई कोर्ट ने, हालांकि, निषेधाज्ञा जारी करते हुए मौजूदा भंडार की बिक्री के संबंध में कुछ नहीं कहा है.
एमएसडी ने अपनी याचिका में ग्लेनमार्क पर यह कहते हुए निषेधाज्ञा लगाने की मांग की थी भारतीय कंपनी ने उसकी मधुमेह रोधी दवाओं जैनुविया और जैनुमेट के संबंध में बौद्धिक संपदा अधिकार का उल्लंघन किया है क्योंकि उसने इन्हीं लवणों के आधार पर अपनी नई दवाएं बना ली हैं.
अमेरिकी कंपनी ने कहा कि उसने साइटैग्लिप्टिन का अनुसंधान किया है जिसका उपयोग उसकी मधुमेह रोधी दवाओं में होता है और इस लवण पर उसका पेटेंट है. ग्लनेमार्क का कहना था कि उसकी दवाओं , जीटा और जीटा मेट में साइटैग्लिप्टिन फॉस्फेट का उपयोग किया जाता है और अमेरिकी कंपनी के पास इसका पेटेंट नहीं है.
इनपुट : भाषा