चीन सीमा पर भले ही तनाव हो और देश में चीनी माल के बहिष्कार का स्वदेशी आंदोलन जोरों पर हो, चीनी कंपनियों का प्रभुत्व कम नहीं हो रहा. केंद्र सरकार की तरफ से बनने वाले दिल्ली-मेरठ सेमी हाई स्पीड रेल कॉरिडोर का ठेका एक चीनी कंपनी को मिलने जा रहा है. इस पर कांग्रेस ने सरकार पर हमला बोला है. स्वदेशी जागरण मंच ने भी मांग की है कि यह बोली तत्काल रद्द की जाए.
क्या है मामला
असल में दिल्ली-मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) प्रोजेक्ट के अंडरग्राउंड स्ट्रेच बनाने के लिए सबसे रकम की बोली एक चीनी कंपनी शंघाई टनल इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड (STEC) ने लगाई है. ऐसे समय में जब देश में चीन के खिलाफ माहौल है और चीनी माल के बहिष्कार की बातें की जा रही हैं करीब 1100 करोड़ रुपये का यह ठेका चीनी कंपनी को मिलने पर विपक्ष हमलावर हो गया है.
क्या कहा स्वदेशी जागरण मंच ने
यही नहीं, बीजेपी के मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच (SJM) ने भी नरेंद्र मोदी सरकार से इस बोली को रद्द करने की मांग की है. चीन की सख्ती से मुखालफत करती रही स्वदेशी जागरण मंच ने सरकार से मांग की है कि इस ठेके को रद्द करते हुए इसे किसी भारतीय कंपनी को दिया जाए. मंच ने कहा कि यदि सरकार के आत्मनिर्भर भारत अभियान को सफल बनाना है तो ऐसी महत्वपूर्ण परियोजनाओं में चीनी कंपनियों को शामिल होने का अधिकार ही नहीं देना चाहिए.
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स्वेदशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह-संयोजक अश्वनी महाजन ने सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से मांग की है कि इस ठेके को तत्काल रद्द किया जाए. सूत्रों के अनुसार SJM यह चाहता है कि महत्वपूर्ण परियोजनाओं में सिर्फ भारतीय कंपनियों को बोली लगाने का अवसर मिले. मंच ने अपनी बात मंत्रालय तक भी पहुंचा दी है.
गौर करने की बात यह है कि इन दिनों लद्दाख में भारत-चीन के बीच तनाव चरम पर है ऐसे में किसी चीनी कंपनी को ठेका मिलने से कई लोग सवाल उठा रहे हैं.
ये कंपनियां हुईं थी बोली में शामिल
गत 12 जून को हुई बिडिंग में चीन की शंघाई टनल इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड सबसे कम रकम की बोली लगाने वाली कंपनी बनी है. इसके तहत दिल्ली-मेरठ RRTS कॉरिडोर में न्यू अशोक नगर से साहिबाबाद के बीच 5.6 किमी तक अंडरग्राउंड सेक्शन का निर्माण होना है. इस पूरे प्रोजेक्ट का प्रबंधन नेशनल कैपिटल रीजन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (NCRTC) द्वारा किया जा रहा है. इसके लिए पांच कंपनियों ने बोली लगाई थी. चीनी कंपनी STEC ने सबसे कम 1,126 करोड़ रुपये की बोली लगाई. भारतीय कंपनी लार्सन ऐंड टूब्रो (L&T) ने 1,170 करोड़ रुपये की बोली लगाई. एक और भारतीय कंपनी टाटा प्रोजेक्ट्स और एसकेईसी के जेवी ने 1,346 करोड़ रुपये की बोली लगाई.
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कांग्रेस भी इस मसले पर हमलावर हो गई है. कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कई ट्वीट कर इस मसले पर सरकार पर जमकर हमला बोला.
हालांकि, सड़क परिवहन मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि यह बोली पूरी तरह से समुचित प्रक्रिया के तहत लगाई गई और भारतीय कंपनियों को बराबर का मौका दिया गया.