मौसम विभाग के मुताबिक 2017 में दक्षिण-पश्चिम मानसून का आंकड़ा लगातार दूसरे साल सामान्य होने जा रहा है. मानसून का यह आंकड़ा देश में खरीफ फसल के लिए बेहद अहम है इसके बावजूद देश में किसानों को इससे कोई राहत नहीं पहुंचने जा रही है. ऐसा इसलिए कि सामान्य मानसून के बावजूद किसानों को अधिक पैदावार की गारंटी नहीं मिल रही क्योंकि जिन इलाकों में मानसून से खरीफ पैदावार पर असर पड़ता वहां रिकॉर्ड हुई बारिश सामान्य से बेहद कम दर्ज हुई है.
सामान्य मानसून पर भी बिगड़ा खरीफ उत्पादन का अनुमान
वहीं, केन्द्रीय कृषि विभाग ने 2017 में खरीफ फसल उत्पादन में बीते वर्ष की तुलना में 2.8 फीसदी की कमी दर्ज होने का अनुमान जताया है. कृषि विभाग के मुताबिक 2017-18 में खरीफ उत्पादन 135 मिलियन टन रहने का अनुमान है जबकि 2016-17 में खरीफ उत्पादन 139 मिलियन टन रहा.
कृषि विभाग के अनुमान के मुताबिक 2017-18 के दौरान खरीफ धान (चावल) उत्पादन 94.48 मिलियन टन रहेगा. जबकि बीते वर्ष धान उत्पादन 96.39 मिलियन टन रहा. हालांकि बीते पांच साल के औसत में 2017 में धान उत्पादन 2.59 मिलियन टन अधिक रहने का अनुमान है.
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वहीं 2017-18 में मोटे अनाज का उत्पादन 31.49 मिलियन टन रहने का अनुमान है. जबकि 2016-17 में मोटे अनाज का उत्पादन 32.71 मिलियन टन था. इसी तरह अन्य खरीफ फसल मक्का का इस साल उत्पादन 0.52 मिलियन टन घटकर 18.73 मिलियन टन रहने का अनुमान है.
कृषि मंत्रालय के मुताबिक 2017 के खरीफ सीजन में दलहन उत्पादन 8.71 मिलियन टन रहने का अनुमान है जबकि 2016 में यह 9.42 मिलियन टन था. वहीं बीते वर्ष 22.40 मिलियन टन के तिलहन उत्पादन की अपेक्षा 2017 में यह 20.68 मिलियन टन रहने का अनुमान है. इनके अलावा इस साल खरीफ फसलों में कपास और जूट की पैदावार भी 2016 की तुलना में कम रहने का अनुमान है. हालांकि इस साल खरीफ फसलों में महज गन्ना उत्पादन में राहत मिलने का अनुमान जताया गया है. कृषि विभाग के अनुमान के मुताबिक 2017 में कुल 338 टन गन्ना उत्पादन रह सकता जबकि 2016 में यह महज 307 मिलियन टन था.
क्यों बिगड़ा खरीफ उत्पादन का अनुमान
मौसम विभाग के आंकड़ों पर कृषि विभाग का कहना है कि खरीफ फसल के लिए अहम दक्षिण-पश्चिम मानसून इस बार सामान्य रहने के बावजूद अच्छी पैदावार नहीं दे पाएगा. इसके लिए मानसून के दौरान उन इलाकों में अच्छी बारिश नहीं होना जिम्मेदार है जहां खरीफ फसलों की बुआई का बड़ा रकबा है. गौरतलब है कि कृषि विभाग फसलों के उत्पादन का 5 चरणों में अपना अनुमान जारी करती है और अभी जारी यह अनुमान इस श्रंखला का पहला अनुमान है. कृषि जानकारों का मानना है कि अगले अनुमानों में कृषि मंत्रालय अपने आंकड़ों में नीचे की तरफ संशोधन कर सकती है जिससे खरीफ पैदावार की उम्मीद और कम होने की संभावना है. आंकड़ों में यह सुधार देश भर में असंतुलित मानसूनी बारिश और बाढ़ और सूखे से तबाह हुआ फसलों के आंकलन के बाद कम होने का अनुमान है.
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गौरतलब है कि केरल से 1 जून को शुरू होने वाला दक्षिण-पश्चिम मानसून का चार महीने लंबा सफर अपने अंतिम चरण में है. आंकड़ों के मुताबिक जून में देश के अधिकांश हिस्सों में अच्छी बारिश हुई जिसके चलते किसानों का हौसला बुलंद था और देशभर में जमकर खरीफ सीज़न में बुआई की गई. इसके बाद जुलाई के दौरान भी मानसून सामान्य रहा और खरीफ बुआई के रकबे में और वृद्धि दर्ज की गई. लेकिन अगस्त और सितंबर के दौरान मानसून कम होने के साथ-साथ कुछ ही इलाकों में सामान्य से अधिक बारिश दर्ज हुई औऱ किसानों के निराशा ही हाथ लगी.
इस मानसून में असम, बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्रों, ओड़ीशा, दक्षिणी छत्तीसगढ़, गुजरात और राजस्थान के कुछ हिस्सों में बाढ़ के चलते खरीफ फसलों को व्यापक रूप में नुकसान पहुंचा है. पूर्वी उत्तर प्रदेश के दक्षिणी हिस्सों, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र के विदर्भ और मराठवाड़ा क्षेत्र, पंजाब व हरियाणा में सामान्य से कम बारिश दर्ज हुई है जिसके चलते खरीफ फसल पर विपरीत असर पड़ा है.