देश के रिटेल बैंकिंग सेक्टर को आकार देने में भूमिका के लिए कभी भरपूर प्रशंसा पाने वाली चंदा कोचर अब गंभीर सवालों के घेरे में हैं. चंदा कोचर नब्बे के दशक में ICICI बैंक की स्थापना के लिए भी जानी जाती हैं. चंदा कोचर पर वीडियोकोन ग्रुप को 3250 करोड़ रुपए के ऋण देने के मामले में कथित ‘भाई-भतीजावाद’ दिखाने और हितों के टकराव के आरोपों को लेकर उंगली उठ रही है. हालांकि ICICI बैंक के बोर्ड ने अपनी एमडी और सीईओ चंदा कोचर पर पूरा भरोसा जताया है.
ICICI बैंक और वीडियोकोन ग्रुप के निवेशक अरविंद गुप्ता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिख कर बैंक के ऋण देने के तौर तरीकों पर सवाल उठाया, वहीं चंदा कोचर पर वेणुगोपाल धूत के वीडियोकॉन कारोबारी समूह को अनुचित लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया है. अरविंद गुप्ता ने प्रधानमंत्री को 15 मार्च 2016 को ये चिट्ठी लिखी थी.
गुप्ता का आरोप है कि चंदा कोचर ने वीडियोकोन को कुल 4000 करोड़ रुपए के दो ऋण मंजूर करने के बदले में गलत तरीके से निजी लाभ लिया. गुप्ता के ने कहा, “ये हितधारकों, शेयरधारियों, पब्लिक/प्राइवेट सेक्टर के बैंकों और भारतीय नियामक एजेंसियों के साथ सरासर धोखाधड़ी है. ऐसा भ्रष्ट बैंकिंग तौर तरीकों के जरिए अनुचित और अवैध धन जुटाने के लिए किया गया.”
रजिस्ट्रार ऑफ कम्पनीज में दर्ज जानकारी के मुताबिक ICICI बैंक चीफ चंदा कोचर के पति दीपक कोचर ने धूत के साथ मिलकर दिसंबर 2008 में न्यू पॉवर रीन्यूएबल्स प्राइवेट लिमिटेड (NRPL) के नाम से साझा कंपनी बनाई. NRPL में धूत, उनके परिवार के सदस्यों और करीबियों के 50 फीसदी शेयर थे. बाकी शेयर चंदा कोचर के पति दीपक कोचर और पैसेफिक कैपिटल के नाम थे. पैसेफिक कैपिटल का स्वामित्त्व दीपक कोचर के परिवार के पास ही था.
एक साल बाद जनवरी 2009 में धूत ने NRPL के डायरेक्टर पद से इस्तीफा दे दिया और अपने करीब 25000 शेयर दीपक कोचर को ट्रांसफर कर दिए. मार्च 2010 में NRPL को सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड से लोन मिला जो कि धूत की ही कंपनी थी.
मार्च 2010 के आखिर तक सुप्रीम एनर्जी ने NRPL का अधिकतर नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया. दीपक कोचर के पास 5 फीसदी शेयर ही रह गए. करीब 8 महीने बाद धूत ने सुप्रीम एनर्जी में अपनी सारी होल्डिंग अपने सहयोगी महेश चंद्र पुंगलिया के नाम कर दी. दो साल बाद पुंगलिया ने सुप्रीम एनर्जी में अपना सारा स्टेक दीपक कोचर की पिनेकल एनर्जी को 9 लाख रुपए में दे दिया.
धूत और दीपक कोचर की कारोबारी साझेदारी को लेकर अब गंभीर सवाल उभरे हैं, खास तौर पर डूबती कंपनी को बैंक की ओर से ऋण दिए जाने को लेकर.
अरविंद गुप्ता ने इंडिया टुडे से कहा, “हमें जानने की जरूरत है कि क्यों दीपक कोचर और धूत ने साझा उपक्रम बनाया और फिर धूत ने उसे छोड़ दिया. हमें जानने की जरूरत है कि मारिशियन कंपनी (डीएच रीन्यूएबल्स) के पीछे असल में कौन लोग हैं.”गुप्ता के संदेह का कारण NRPL को उसी समय विदेशी फंड का बहुतायत में मिलना है. ICICI बैंक ने करीब 4000 करोड़ रुपए ऋण के तौर पर वीडियोकोन ग्रुप को 2010 से 2012 के बीच दिए और डीएच रीन्यूएबल्स ने 325 करोड़ और 66 करोड़ रुपए NRPL में डाले.
ICICI बैंक ने 3250 करोड़ 5 वीडियोकोन कंपनियों को अप्रैल 2012 में दिए. इसके बाद केमेन आईलैंड्स की एक शैल कंपनी को 660 करोड़ रुपए का ऋण दिया गया. ICICI बैंक ने अपनी सीईओ का बचाव किया है. बैंक के बोर्ड का कहना है कि हर ऋण के लिए फॉरेन्सिक ऑडिट की जरूरत नहीं होती. साथ ही ये भी कहा गया है कि कोचर ने कभी उन क्रेडिट कमेटियों को हेड नहीं किया जिन्होंने वीडियोकोन को 3250 करोड़ रुपए का ऋण दिया.
दीपक कोचर और धूत किसी भी गड़बड़ी से इनकार कर रहे हैं. दीपक कोचर ने NRPL को शेयर ट्रांसफर के आरोपों को भी नकारा है. लेकिन कई सवालों का जवाब मिलना बाकी है. वीडियोकोन की ICICI बैंक को लोन गारंटी, इसका क्रेडिट स्कोर जिसके आधार पर बैंक ऋण मंजूर करता है.
कैसे पैसा दीपक कोचर की कंपनी में आता रहा जबकि ICICI बैंक वीडियोकोन ग्रुप को ऋण जारी कर रहा था?