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डीजल की होम डिलीवरी सेवा का होगा विस्तार, स्टार्टअप को ​मिलेगा 2000 करोड़ का बाजार

तेल मार्केटिंग कंपनियों ने देश में बड़े स्तर पर डीजल की होम डिलीवरी के लिए इच्छुक फर्मों से अभिरुचि पत्र यानी एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट (EoI) मांगे हैं. इससे इस क्षेत्र में सक्रिय स्टार्टअप के लिए करीब 2,000 करोड़ रुपये का बाजार खुल सकता है.

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 वित्त वर्ष 2019-20 में भारत में डीजल की मांग 8.26 करोड़ टन थी
वित्त वर्ष 2019-20 में भारत में डीजल की मांग 8.26 करोड़ टन थी

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  • डीजल की होम डिलीवरी सेवा के विस्तार की तैयारी
  • तेल कंपनियों ने स्टार्टअप से मांगे हैं अभिरुचि पत्र

तेल मार्केटिंग कंपनियों ने देश में बड़े स्तर डीजल की होम डिलिवरी करने की तैयारी शुरू कर दी है. इसके लिए कंपनियों ने इच्छुक फर्मों से अभिरुचि पत्र यानी एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट (EoI) मांगे हैं. इससे इस क्षेत्र में सक्रिय स्टार्टअप के लिए करीब 2,000 करोड़ रुपये का बाजार खुल सकता है.

गौरतलब है कि साल 2018 से ही तेल कंपनियां प्रायोगिक स्तर पर कई शहरों में डीजल की होम डिलीवरी कर रही हैं. लेकिन अब इसे बड़े पैमाने पर करने तैयारी है. ईंधन की डिलीवरी करने वाले स्टार्टअप को खुद को फ्यूल आंत्रप्रेन्योर्स के रूप में रजिस्टर्ड करवाना होगा और इससे वे डीजल के आधिकारिक रीसेलर्स बन सकते हैं. अभी FuelBuddy, Pepfuels, MyPetrolPump, हमसफर जैसे कई स्टार्टअप इंडियन ऑयल, एचपीसीएल जैसी तेल कंपनियों की ईंधन डिलीवरी में मदद कर रहे हैं. ये फर्म अब आधिकारिक रूप से अपने नाम से बिल बनाते हुए ग्राहकों को डीजल की आपूर्ति कर सकेंगे.

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साल 2017 से शुरू हुई थी कोशिश

गौरतलब है कि साल 2017 में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने हाईस्पीड डीजल की होम डिलीवरी करने के प्रस्ताव पर विचार शुरू किया था. इसके बाद पेट्रोलियम एक्सप्लोसिव सेफ्टी आर्गेनाईजेशन (PESO) को इसके लिए गाइडलाइन का प्रारूप बनाने का जिम्मा सौंपा गया. साल 2018 में इंडियन ऑयल और हिंदुस्तान पेट्रोलियम ने प्रायोगिक तौर पर यह होम डिलीवरी सेवा शुरू की थी.

अब बनेंगे आधिकारिक रीसेलर

फ्यूलबडी के सीओओ और को-फाउंडर आदित्य सिंह ने कहा, 'ईंधन आपूर्ति करने वाले स्टार्टअप अब आधिकारिक रूप से डीजल के रीसेलर बन जाएंगे. इसके पहले हम तेल मार्केटिंग कंपनियों के साथ साझेदार के रूप में काम कर रहे थे. अब हम तेल कंपनियों से ईंधन खरीद कर बिल पर अपने नाम से ग्राहकों को आधिकारिक रूप से बेच पाएंगे. यह हमारे जैसे स्टार्टअप के लिए एक बड़ा अवसर है.'

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उन्होंने कहा कि सरकार के इस निर्णय ईंधन डिलीवरी सेगमेंट को काफी तेजी मिलने की उम्मीद है. अगले साल-डेढ़ साल में ही यह 1500 से 2000 करोड़ का बाजार हो सकता है. इससे डीजल की मांग और बढ़ेगी. गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2019-20 में भारत में डीजल की मांग 8.26 करोड़ टन थी.

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(www.businesstoday.in के इनपुट पर आधारित)

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