अगर केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी, तो भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) देश में प्लास्टिक के नोट चलाने का प्रयोग शुरू देगा. सरकार से हरी झंडी मिलने के बाद आरबीआई सबसे पहले 10 रुपये के प्लास्टिक के नोट जारी करना चाहता है.
रिजर्व बैंक के गवर्नर डी. सुब्बाराव ने इंदौर से करीब 60 किलोमीटर दूर खुर्दा में एक कार्यक्रम के बाद संवाददाताओं को बताया, ‘देश में प्लास्टिक के नोट जारी करने के लिये हम सरकार की मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं. यह मंजूरी मिलने के बाद हम पहले 10 रुपये के नोट किसी विदेशी प्रेस में छपवाकर इनका आयात करेंगे. अगर यह योजना सफल रही, तो हम स्वदेश में भी प्लास्टिक के नोट छापना शुरू कर देंगे.’
देश में जाली नोटों के चलन पर सुब्बाराव ने कहा, ‘जाली नोटों की समस्या मुल्क के सरहदी सूबों में अपेक्षाकृत ज्यादा है.’ उन्होंने कहा कि बैंकिंग तंत्र में नकली नोटों की घुसपैठ रोकने के लिए केंद्रीय बैंक बैंकों से समन्वय स्थापित करते हुए उन्हें जाली मुद्रा को जमा करके पुलिस थानों में एफआईआर दर्ज कराने को कह रहा है.
सुब्बाराव ने कहा कि जाली नोटों के मामलों की जांच के लिए बड़े शहरों में विशेष पुलिस थाने होने चाहिए. इन थानों में प्रशिक्षित अफसरों की तैनाती की जानी चाहिए. उन्होंने देश के निवेशकों, खासकर ग्रामीण लोगों से अपील की कि वे ऊंची दरों पर ब्याज अदायगी का दावा करके पैसा बढ़ाने का लालच देने वाली धोखेबाज वित्तीय इकाइयों से सावधान रहें.
सुब्बाराव ने कहा, ‘चिट फंड गैरकानूनी नहीं हैं. लेकिन पैसा बढ़ाने का दावा करने वाली कुछ ऐसी वित्तीय योजनाएं जरूर गैरकानूनी हैं, जिन्हें लोग चिट फंड समझते हैं. हम इस सिलसिले में लोगों में जागरुकता फैलाने का प्रयास कर रहे हैं.’ उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रदेश सरकारों को ऐसी गैरकानूनी वित्तीय योजनाओं पर पैनी निगाह रखनी चाहिए और इनमें गड़बड़ियां मिलने पर इनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए.
आरबीआई गवर्नर ने देश में वित्तीय समावेशन के अभियान को तेज गति से आगे बढ़ाए जाने की जरूरत पर जोर देते हुए एक अनुमान के हवाले से बताया कि फिलहाल मुल्क के महज एक तिहाई गांवों तक बैंकिंग सेवाओं की पहुंच है. उन्होंने एक सवाल पर कहा कि बैंकों को चाहिए कि वे योग्य विद्यार्थियों को एजुकेशन लोन देने में ‘उदारता’ बरतें. इसके साथ ही, गांवों में खाते खोलने की प्रक्रिया को सरल बनाएं.
सुब्बाराव ने मध्य प्रदेश की तारीफ करते हुए कहा कि सरकारी योजनाओं का लाभ पाने वालों का पैसा सीधे उनके खातों में जमा करने के मामले में इस सूबे की स्थिति देश के कई राज्यों से बहुत अच्छी है.