केंद्रीय रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी की गिनती स्पष्टवादी और सौम्य राजनेता के रूप में होती है. उन्हें दिल्ली में तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी के खास व्यक्ति के रूप में देखा जाता है. राष्ट्रीय राजनीतिक दलों और नेताओं से तृणमूल को जोड़ने में उनकी अहम भूमिका रही है.
वह जनहित में याचिका दायर करने के लिए भी जाने जाते हैं. माना जाता है कि कुछ माह पूर्व भ्रष्टाचार के खिलाफ सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे की मुहिम के दौरान उन्होंने उनके समर्थन में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री के पद से इस्तीफे की पेशकश भी की थी.
वर्ष 2009 के संसदीय चुनाव में उन्होंने बैरकपुर लोकसभा सीट से जीत दर्ज की थी, जिसके बाद उन्हें मनमोहन सिंह सरकार में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री बनाया गया. वह पहली बार 1990 में राज्यसभा के लिए चुने गए थे और 2008 तक राज्यसभा के सदस्य रहे.
त्रिवेदी ने कोलकाता के सेंट जेवियर कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई की और फिर टेक्सास विश्वविद्यालय से एमबीए की डिग्री ली. इस बार का रेल बजट दिनेश त्रिवेदी की लिए बहुत टेढ़ी खीर साबित हो सकता है.
एक ओर ऊंची महंगाई की दरों के बीच किराया ना बढ़ाने की चुनौती त्रिवेदी के सामने है तो दूसरी ओर रेलवे की लंबित परियोजनाओं के लिए लगातार धन की कमी से जूझ रहे रेलवे के लिए फंड की व्यवस्था करना भी उनके लिए बड़ी चुनौती होगी. अब देखना यह होगा कि रेल मंत्री इन दोनों के बीच कैसे सामंजस्य बिठाते हैं.