पूंजी बाजार विनियामक सेबी के पाबंदी लगाने से बुरी तरह प्रभावित रियल्टी क्षेत्र की कंपनी डीएलएफ ने बुधवार को प्रतिभूति अपीलीय पंचाट (सैट) अंतरिम राहत की अपील की ताकि वह म्यूचुअल फंड कंपनियों और अन्य प्रतिभूतियों में लगे अपने हजारों करोड़ रुपये के धन को निकाल सके.
देश की इस सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी द्वारा पिछले सप्ताह दायर याचिका पर सुनवाई के बाद सैट ने इस मामले की सुनवाई 30 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी. सैट ने अंतरिम राहत के लिए डीएलएफ की भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) से जवाब मांगा है. सेबी ने 2007 के डीएलएफ के प्रथम सार्वजनिक शेयर निर्गम (आईपीओ) के समय महत्वपूर्ण सूचनाओं को छुपाने के आरोप में सेबी ने इस कंपनी और इसके प्रमुख अधिकारियों के खिलाफ बाजार में प्रतिभूतियों की खरीद बिक्री करने की रोक लगा दी है.
डीएलएफ ने अपनी अर्जी में कहा है कि उसे विभिन्न प्रतिभूतियों और म्यूचुअल फंड कंपनियों से धन निकालने की आवश्यकता है. इसमें म्यूचुअल फंडों में लगाए गए 2,000 करोड़ रुपये और कुछ बांड में लगे हजारों करोड़ रुपये की राशि शामिल हैं. डीएलएफ ने पिछले महीने ही शेयरधारकों से गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर (एनसीडी) जारी कर 5,000 करोड़ रुपये जुटाने के लिए शेयरधारकों की मंजूरी हासिल की थी.
किंशुक सिन्हा नाम के उस व्यक्ति ने भी सैट के समक्ष एक हस्तक्षेप याचिका पेश की जिसकी शिकायत पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सेबी को डीएलएफ के खिलाफ जांच का निर्देश दिया था. सिन्हा की याचिका का डीएलफ के वकील ने कड़ा विरोध किया और याचिका दाखिल नहीं नहीं की गयी गई. सेबी ने इस मामले में इसी माह डीएलएफ और उसके छह प्रमुख अधिकारियों को तीन साल के लिए पूंजी बाजार से प्रतिबंधित करने का निर्णय सुनाया. डीएलएफ ने 2007 में अपने आईपीओ में 9,187 करोड़ रुपये जुटाए गए थे. उस वक्त यह देश का सबसे बड़ा आईपीओ था.
सेबी ने कंपनी या उसके अधिकारों पर कोई अर्थ-दंड नहीं लगाया. यह सेबी के ऐसे बिरले आदेशों में से एक है जिसमें उसने किसी बड़ी कंपनी और इसके शीर्ष प्रवर्तकों-कार्यकारियों को बाजार में प्रतिबंधित किया है. सेबी के पूर्णकालिक सदस्य राजीव अग्रवाल ने अपने 43 पन्ने के आदेश में कहा था कि नियमों का गंभीर उल्लंघन हुआ है और प्रतिभूति बाजार की सुरक्षा और विश्वसनीयता पर इसका असर हुआ है.
डीएलएफ पर 30 जून 2014 को 19,000 करोड़ रुपये का कर्ज था. उसने पिछले महंगे कर्ज को उतारने के लिए के बांड जारी कर 4,500 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बना रखी थी. कंपनी का सालाना कारोबार करीब 10,000 करोड़ रुपये है. सेबी ने डीएलफए और इसके चेयरमैन केपी सिंह के अलावा जिन पर प्रतिबंध लगाया है उनमें सिंह के पुत्र राजीव सिंह (उपाध्यक्ष), पुत्री पिया सिंह (पूर्णकालिक निदेशक), प्रबंध निदेशक टी सी गोयल, पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी रमेश संका और कामेश्वर स्वरूप शामिल हैं. स्वरूप 2007 में कंपनी की सार्वजनिक पेशकश के समय कार्यकारी निदेशक (विधि) थे.
- इनपुट भाषा