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मोदीराज में सस्ती हो गई आम आदमी की थाली! प्रति परिवार एक साल में बचे 11,787 रुपये

वित्त वर्ष 2019-20 के इकोनॉमिक सर्वे में दावा किया गया है कि आम आदमी की थाली की कीमत में मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान कमी आई है. दावे के अनुसार इससे नॉनवेज खाने वाले परिवार की सालाना 11,787 रुपये और वेज खाने वाले परिवार की सालाना 10,887 रुपये की बचत हुई है.

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Economic Survey 2020: आम आदमी का खाना हुआ सस्ता
Economic Survey 2020: आम आदमी का खाना हुआ सस्ता

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  • वित्त वर्ष 2019-20 का आर्थिक सर्वेक्षण संसद में पेश हुआ

  • सर्वे के अनुसार मोदीराज में आम आदमी का खाना सस्ता
  • इससे प्रति परि‍वार सालाना 11,787 रुपये की बचत हुई है

वित्त वर्ष 2019-20 के आर्थिक सर्वेक्षण में यह दावा किया गया है मोदी सरकार में आम आदमी की थाली यानी उसका भोजन सस्ता हुआ है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को संसद के पटल पर वर्ष 2019-20 के लिए आर्थ‍िक सर्वेक्षण पेश किया.

सर्वे के अनुसार, 2015-16 से अब तक देश के सभी क्षेत्रों में वेज थाली की वास्तविक कीमत में गिरावट आई है. सिर्फ 2019 में कीमत थोड़ी बढ़ी है. यह सब्जियों और दाल की कीमतों में भारी गिरावट की वजह से हुआ है. इसका असर यह हुआ है कि 5 लोगों के औसत परिवार को देखें, जिसमें एक दिन में कम से कम दो थाली खाना खाया जाता है, उसका एक साल में औसतन 10,887 रुपये की बचत हुई है. इसी तरह नॉनवेज खाने वाले परिवार का साल में औसतन 11,787 रुपये की बचत हुई है.

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मोदी सरकार की वजह से घटे दाम!

सर्वे के अनुसार, साल 2015-16 से यानी मोदी सरकार के आने के बाद से थाली की कीमत में भारी बदलाव आया है. इसकी वजह यह है कि मोदी सरकार ने खेती की उत्पादकता बढ़ाने के लिए कई सुधार कार्यक्रम लागू किए.

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पिछले 13 साल में लगातार किफायती हुई थाली

सर्वे में कहा गया है कि किसी एक कामगार के एक दिन के पारिश्रमिक की तुलना में यदि उसके एक टाइम के भोजन पर होने वाले खर्च यानी थाली की कीमत की तुलना करें तो यह लगातार किफायती हुआ है. सर्वे के अनुसार साल 2006-07 से 2019-20 के बीच वेजेटेरियन यानी शाकाहारी थाली 29 फीसदी किफायती और नॉन-वेज थाली 18 फीसदी किफायती हो गई है.

2014 से लगातार घट रही महंगाई

आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि भारत में वर्ष 2014 से ही महंगाई निरंतर घटती जा रही है. हालांकि, हाल के महीनों में महंगाई में वृद्धि का रुख देखा गया है. उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुख्‍य महंगाई दर वर्ष 2018-19 (अप्रैल- दिसम्‍बर 2018) के 3.7 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2019-20 की समान अवधि में 4.1 प्रतिशत हो गई है. थोक मूल्‍य सूचकांक (डब्‍ल्‍यूपीआई) पर आधारित महंगाई दर में वर्ष 2015-16 और वर्ष 2018-19 के बीच की अवधि के दौरान वृद्धि दर्ज की गई है. हालांकि, डब्‍ल्‍यूपीआई पर आधारित महंगाई दर वर्ष 2018-19 की अप्रैल-दिसम्‍बर 2018 अवधि के 4.7 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2019-20 की समान अवधि में 1.5 प्रतिशत रह गई.

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देश के 80 स्थानों की हुई स्टडी

'थालीनॉमिक्स: द इकोनॉमिक्स ऑफ अ प्लेट ऑफ फूड ऑफ इंडिया' के तहत इकोनॉमिक सर्वे में देश भर के आम आदमी की थाली का अध्ययन किया गया. इसमें देश में तय आहार के गाइडलाइन का ध्यान रखा गया. अध्ययन के लिए अप्रैल 2006 से अक्टूबर 2019 के बीच 25 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के करीब 80 जगहों की खुदरा कीमतों को आधार बनाया गया.

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क्या होता है इकोनॉमिक सर्वे में

आर्थिक सर्वे देश के आर्थिक विकास का सालाना लेखाजोखा होता है. इस सर्वे रिपोर्ट से आधिकारिक तौर पता चलता है कि बीते साल आर्थिक मोर्चे पर देश का क्‍या हाल रहा. इसके अलावा सर्वे से ये भी जानकारी मिलती है कि आने वाले समय के लिए अर्थव्यवस्था में किस तरह की संभावनाएं मौजूद हैं.आसान भाषा में समझें तो वित्त मंत्रालय की इस रिपोर्ट में भारतीय अर्थव्यवस्था की पूरी तस्वीर देखी जा सकती है.

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