शराब कारोबारी विजय माल्या ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को 900 करोड़ रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग केस में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पूछताछ करने का प्रस्ताव दिया था, जिसे ईडी ने सिरे से खारिज कर दिया. ईडी ने माल्या के मामले की जांच के लिए एक खास फोरेंसिक टूल भी बनवाया है, जो तीन सॉफ्टवेयर्स को मिलाकर बनाया गया है.
ईडी के डायरेक्टर करनैल सिंह ने आज तक से खास बातचीत में कहा, 'प्रवर्तन निदेशालय ने विजय माल्या से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पूछताछ करने के आइडिया को पूरी तरह खारिज कर दिया.' उन्होंने कहा, 'हमें इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि माल्या खुद को पीड़ित बताएं या सुरक्षित पनाह मांगे अथवा भारत वापस आने की इच्छा जताएं . हमारी सोच बिल्कुल साफ है कि जांच पूरी तेजी से सही दिशा में जा रही है. एजेंसी माल्या के प्रति नरमी नहीं दिखाएगी.'
ईडी ने इसलिए खारिज किया वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का प्रस्ताव
ईडी के डायरेक्टर ने कहा कि अगर बैंक अपने बकाया का मामला माल्या से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बात करके सुलझाना चाहें, तो वे ऐसा कर सकते हैं. हमें इसमें कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन ईडी के मामले में हम इस
आइडिया के बिल्कुल खिलाफ हैं. सिंह ने इसकी वजह बताई कि पूछताछ में संबंधित शख्स अगर झूठ बोलता है या कुछ छिपाता है तो आमने-सामने पूछताछ करते हुए वह उस व्यक्ति के चेहरे पर नजर आ जाता है,
लेकिन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में ऐसा नहीं होता. सिंह ने बताया कि माल्या यूनाइटेड ब्रेवरीज की बोर्ड मीटिंग में वीडियो-कॉल के जरिए शामिल हुए थे.
क्यों खास है नया फोरेंसिक टूल?
किंग ऑफ गुडटाइम्स माल्या के लिए आने वाला वक्त और मुश्किलों भरा हो सकता है. ईडी ने तय किया है कि माल्या से और सख्ती और चतुराई के साथ निपटा जाएगा. सूत्रों ने बताया कि माल्या के मनी लॉन्ड्रिंग के
मामले में जांच के लिए ईडी एक खास फोरेंसिक टूल (सॉफ्टवेयर) का इस्तेमाल करेगी. यह ऑडिटिंग टूल Pivot Table, Macros Excel और Idea नाम के तीन सॉफ्टवेयर्स को मिलाकर खासतौर पर ईडी के लिए
बनाया गया है. ये तीन सॉफ्टवेयर डाटा एनानिलिस और डाटा माइनिंग के लिए दुनियाभर में इस्तेमाल किया जाते हैं.
ईडी के अधिकारियों को दी जा रही है ट्रेनिंग
मुंबई की फोरेंसिक ऑडिट फर्म से जुड़े सूत्रों ने बताया कि हमारी टीम नियमित तौर पर ईडी के अधिकारियों को इस खास ऑडिटिंग टूल के जरिए माल्या केस की जांच की ट्रेनिंग दे रही है. ये फर्म कई बड़े डिफॉल्टरों के
खिलाफ फोरेंसिक ऑडिट प्रोजेक्टों पर काम कर रही है.
इन तीन अहम सवाल के जवाब खोजेगा सॉफ्टवेयर
ये नया सॉफ्टवेयर ईडी की तीन गुत्थियों को सुलझाने में खास मदद करेगा. पहला- वेंडरों, सब-वेंडरों और किंगफिशर एयरलाइंस से जुड़ी कंपनियों पर कितना पैसा खर्च किया गया और क्या रणनीति बनाई गई थी. क्या इन वेंडरों ने दूसरे या तीसरे लेयर की कंपनियों को पैसा दिया था. अगर हां, तो कितना? दूसरा- सारा पैसा (बैंक लोन) कहां गया, पैसा भारत में है या विदेश जा चुका है? तीसरा अहम सवाल ये कि फायदा लेने वाले कौन लोग थे, उनके बैंक अकाउंट्स में कितना पैसा गया?
माल्या ने चार देशों में पैसा किया ट्रांसफर
बताया जा रहा था कि सीबीआई की नजर उन पांच लाख ट्रांजेक्शनों पर है, जो माल्या ने अलग-अलग अकाउंट्स से किए. इन पांच लाख ट्रांजेक्शनों में 60 फीसदी (लगभग 3 लाख ट्रांजेक्शन) के जरिए पैसा चार देशों के
अलग-अलग खातों में ट्रांसफर किया गया.