इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर घमासान जारी है. विपक्ष के लगातार हमलावर रुख के बाद सरकार की तरफ से केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल सामने आए. उन्होंने दावा किया है कि इलेक्टोरल बॉन्ड के जारी होने के बाद से चुनाव तंत्र में काले धन का इस्तेमाल कम हुआ है और पारदर्शिता बढ़ी है. उन्होंने इसके लिए इलेक्टोरल बॉन्ड जारी होने के बाद और पहले के हालात में अंतर का एक खाका भी पेश किया है.
गौरतलब है कि कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि इलेक्टोरल बॉन्ड एक तरह का घोटाला है और इनसे बीजेपी को सबसे ज्यादा फायदा हो रहा है. कांग्रेस अब भी अपने इस रुख पर कायम है कि इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करने में भ्रष्टाचार हुआ है. इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर कांग्रेस नेता शशि थरूर ने शुक्रवार को आजतक से बातचीत में कहा कि सरकार यह दावा नहीं कर सकती कि इसमें कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ है.
बीजेपी ने बताया कांग्रेस की हताशा
बीजेपी प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा ने इलेक्टोरल बॉन्ड पर कांग्रेस को जवाब देते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी की आदत बन चुकी है कि वह झूठे आरोप हमेशा लगाती रहे. उन्होंने कहा, ' इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए सरकार ने एक स्वच्छता लाने का काम किया है. कांग्रेस पार्टी अभी यही चाहती है कि पार्टी को फंड न दे कर के उनके गांधी परिवार को फंड दिया जाना चाहिए. कई डायरीज में इस बात का खुलासा हुआ है कि RG और SG को पैसा दिया गया. कांग्रेस पार्टी देश में पार्टी के चंदे के नाम पर अपनी जेब एक परिवार को भरने के लिए दिया. मोदी जी ने इसको रोकने का काम किया, इसलिए कांग्रेस पार्टी कष्ट में है.'
गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में केंद्रीय रेल और कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था, 'जो लोग इलेक्टोरल बॉन्ड से ईमानदारी और पारदर्शिता वाला धन हासिल नहीं कर पा रहे, वे इसका विरोध कर रहे हैं. कुछ हताश नेताओं का गुट यह नहीं चाहता कि चुनावी राजनीति में साफ-सुथरा धन आए.'
उन्होंने कहा, 'पहले राजनीतिक दलों को नकद चंदा देने का सिस्टम था. अब इलेक्टोरल बॉन्ड के द्वारा चंदा लिया जा रहा है जो बैंक खातों से जुड़े होते हैं. सभी खाते केवाईसी मानक का पालन करते हैं. एसबीआई की शाखाओं से ही ये बॉन्ड खरीदे जा सकते हैं. यह व्यवस्था पूरी तरह से पारदर्शी है और इससे हमारे चुनावी तंत्र में काले धन पर अंकुश लगा है.'
भ्रष्टाचार के आरोप पर कायम है कांग्रेस
इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर के कांग्रेस नेता शशि थरूर ने शुक्रवार को आजतक से बातचीत में कहा कि सरकार कैसे कह सकती है कि कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ है. उन्होंने कहा, ' इलेक्टोरल बॉन्ड को उन्होंने लोकसभा चुनाव के लिए पार्लियामेंट में पास करा लिए, इन लोगों ने नियम के विरोध जाकर नोटिफिकेशन बदल लिया और कहा गया कि यह सिर्फ लोकसभा चुनाव के इस्तेमाल होगा. बाद में पीएमओ से यह ऑर्डर आया कि यह बदल दिया गया है. फाइनेंस मिनिस्ट्री से दोबारा नोटिस देकर स्टेट असेंबली इलेक्शन को भी दिया, वह भी कर्नाटक के चुनाव पहले. उसके बाद तीन-चार इलेक्शन हुए इन सभी में उन लोगों ने पैसे ले लिए और यह कह रहे हैं कि भ्रष्टाचार नहीं हुआ है.'
सरकार का क्या है पक्ष
क्रमांक | इलेक्टोरल बॉन्ड की नई व्यवस्था | पुराना सिस्टम |
1. | चंदा देने वाले को केवाईसी का पालन करना पड़ता है | अज्ञात/छद्म प्रकार के डोनर |
2. | केवाईसी के पालन से साफ-सुथरा टैक्स दिया हुआ धन आता है | अज्ञात स्रोत से आया दागी धन |
3. | इलेक्टोरल बॉन्ड को जमानत की तरह इस्तेमाल नहीं किया जा सकता | - |
4. | डोनर सिर्फ चेक और ऑनलाइन लेनदेन की पारदर्शी प्रणाली से चंदा दे सकता है (2000 से कम राशि ही नकद दी जा सकती है) | ऐसी कोई पारदर्शी प्रणाली नहीं |
5. | चंदा लेने और देने वाला नाम जाहिर नहीं होता, इसलिए किसी को परेशान नहीं किया जा सकता | इसमें चंदा देने वाला चेक देने से हिचकता है, क्योंकि उसे पहचान जारी होने के बाद परेशान करने का डर होता है |
6. | यह चुनाव फंडिंग प्रक्रिया को साफ-सुथरी बनाने की पहली प्रक्रिया है, विभिन्न राजनीतिक दलों ने 12 चरण में 6,129 करोड़ रुपये हासिल किए हैं | पुराने सिस्टम में पॉलिटिकल फंडिंग में सुधार बहुत कम हो पाया था, निर्धारित तरीके से चंदे का खुलासा करने पर राजनीतिक दलों को टैक्स छूट मिलता था, यूपीए सरकार द्वारा लाए गए इलेक्टोरल ट्रस्ट को भी बहुत कम सफलता मिली |
7. | ये सिर्फ रजिस्टर्ड राजनीतिक दल के निर्धारित अकाउंट में ही भुनाए जा सकते हैं. इसे किसी को ट्रांसफर नहीं किया जा सकता. इसे 15 दिन के भीतर ही भुनाना होता है. इसलिए नकदी की तरह इसका इस्तेमाल नहीं हो सकता. | यह नकद चंदे पर आधारित व्यवस्था है. |
8 | बॉन्ड हासिल करने वाले राजनीतिक दल के खाते में इसका विवरण दर्ज होता है, इसलिए जरूरत पड़ने पर उनकी जांच की जा सकती है | इसकी कोई जांच नहीं हो पाती. |