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EPFO कर सकता है ब्‍याज दर में कटौती, फिर भी ऐसे मिलेगा आपको फायदा

कर्मचारी भविष्य निध‍ि संगठन (ईपीएफओ)  की तरफ से वित्त वर्ष 2017-18 के लिए सब्सक्राइबर्स  को कम ब्याज मिल सकता है. ईपीएफओ के सेंट्रल बोर्ड की मीटिंग 23 नवंबर को तय है. इस दिन ट्रस्टीज ब्याज दर 8.5 फीसदी कर सकते हैं. पिछले साल यह ब्याज दर 8.65 फीसदी तय की गई थी. हालांकि ब्याज दर घटने के बाद सब्सक्राइबर्स को मिलने वाले फायदे में कमी नहीं आएगी.

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ईपीएफओ
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कर्मचारी भविष्य निध‍ि संगठन (ईपीएफओ)  की तरफ से वित्त वर्ष 2017-18 के लिए सब्सक्राइबर्स  को कम ब्याज मिल सकता है. ईपीएफओ के सेंट्रल बोर्ड की मीटिंग 23 नवंबर को होनी है. इस दिन ट्रस्टीज ब्याज दर 8.5 फीसदी कर सकते हैं. पिछले साल यह ब्याज दर 8.65 फीसदी तय की गई थी. हालांकि ब्याज दर घटने के बाद सब्सक्राइबर्स को मिलने वाले फायदे में कमी नहीं आएगी.

इकोनॉमिक टाइम्स ने ईपीएफओ के एक अध‍िकारी के हवाले से लिखा है कि अंशदान को इक्विटी में निवेश किए जाने के बाद पहली बार सब्सक्राइबर्स को यूनिट्स का आवंटन किया जा सकता है. अधिकारी ने कहा कि इसको मिलाने के बाद वित्त वर्ष 2018 में सब्सक्राइबर्स को पिछले साल की ब्याज दर के बराबर या उससे ज्यादा का फायदा मिल सकता है.

अध‍िकारी ने बताया कि 23 नवंबर को होने वाली बैठक में ईपीएफओ के बोर्ड ऑफ ट्रस्‍टीज इक्विटी में निवेश किए गए हिस्‍से के  ईपीएफओ यूनिटाइजेशन पॉलिसी को मंजूरी भी दे सकता है। ईपीएफओ के निवेश  का एक बड़ा हिस्सा सरकारी प्रतिभूतियों में जाता है. पिछले कुछ समय से इससे ईपीएफओ को बेहतर प्राप्ति नहीं हुई है. इसकी वजह से आगामी बैठक में ब्याज दरों में कटौती किए जाने की आशंका जताई जा रही है.

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ईपीएफओ अधिकारी ने कहा कि बॉन्ड्स और एफडी जैसे मार्केट  इंस्ट्रूमेंट से रिटर्न  कम रहा है. उन्होंने कहा कि विपरीत परिस्थ‍ितियों को देखते हुए ब्याज को पुरानी दर पर रखना मुश्कि‍ल है. ऐसे में ब्याज दर में कटौती लगभग तय मानी जा रही है.

क्या है यूनिटाइजेशन पॉलिसी

दरअसल ईपीएफओ अपनी कुल सपंति में से 15 फीसदी ईटीएफ के जरिये इक्व‍िटी में निवेश करता है.  इस पॉलिसी के तहत हर महीने होने वाले इस 15 फीसदी निवेश को यूनिट के रूप में सब्सक्राइबर्स  को आवंटित किया जाएगा. इसका फायदा सब्सक्राइबर्स तब ले सकेंगे, जब वह अपना पीएफ विद्ड्रॉ करेंगे. या फिर जब वह इससे बाहर निकल जाएंगे.

यही नहीं, ईपीएफओ इस निवेश पर मिलने वाले सालान लाभांश को भी सब्सक्राइबर्स में बांट सकता है. इन दोनों वजहों से ब्याज दर घटाए जाने पर भी सब्सक्राइबर्स को फायदा मिल सकता है.

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