देश के साढे़ पांच करोड़ कर्मचारियों के लिए निराशाजनक खबर आ रही है. ईपीएफओ यानी कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने कहा है कि वह पीएफ पर पिछले साल से भी कम ब्याज देगा. हालांकि वह पिछले साल से अधिक ब्याज दे सकता है लेकिन ऐसा करना उचित नहीं होगा.
संगठन का कहना है कि 2014-15 में अंशधारकों को 8.8 प्रतिशत ब्याज देना संभव होगा लेकिन 7.7 प्रतिशत ब्याज देना ही उचित रहेगा. पिछले साल संगठन ने 8.75 प्रतिशत ब्याज की घोषणा की थी. आज पीएफ बोर्ड के ट्रस्टियों की बैठक है और इसमें फैसला होगा कि कितना ब्याज दिया जाना चाहिए. लेकिन वर्तमान दर से कम ब्याज देने की बात ट्रस्टियों के गले नहीं उतर रही है. इसलिए इस दर पर फैसला होने की उम्मीद नहीं है.
दरअसल संगठन ने कहा है कि ब्याज उतना ही दिया जाए जितना सरकार अपने कर्मचारियों को जनरल पीएफ पर देती है. यह दर है 8.7 प्रतिशत और ईपीएफओ इसी दर पर ब्याज भुगतान करना चाहता है. ईपीएफओ की गणना के मुताबिक अगर उसने 8.8 प्रतिशत ब्याज का भुगतान कर दिया तो उसके पास बहुत थोड़ा सरप्लस पैसा रह जाएगा जो उसके वित्तीय सेहत के लिए ठीक नहीं होगा. 8.7 प्रतिशत देने से उसके पास अतिरिक्त धन रहेगा और उस पर कोई दबाव नहीं होगा.
दरअसल पीएफ देने के लिए न्यूनतम बेसिक सैलरी 6,500 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 15,000 रुपये कर देने से नए अंशधारकों की तादाद बढ़ गई है. इससे पहले की तुलना में ज्यादा ब्याज का भुगतान करना पड़ सकता है. ब्याज दरों में 0.1 प्रतिशत की बढ़ोतरी का मतलब कुल 165 करोड़ रुपये की देनदारी होती है. यह कोई छोटी रकम नहीं है.
यूनियन तथा कर्मचारियों के संगठन मांग कर रहे हैं कि 8.8 प्रतिशत से ज्यादा ब्याज दिया जाए.