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जीडीपी के 2.5 फीसदी तक हो सकता है चालू खाते का घाटा, बढ़ेगी सरकार की मुश्किल

रुपये के लगातार गिरने और डीजल-पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी की दोहरी मुश्किल से सरकार पहले ही जूझ रही है, अब अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण माने जाने वाले चालू खाते के घाटे (सीएडी) के भी बढ़ने की भी आशंका जताई जा रही है.

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चालू खाते का बढ़ता घाटा मोदी सरकार के लिए चिंता का विषय
चालू खाते का बढ़ता घाटा मोदी सरकार के लिए चिंता का विषय

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ऐसे समय में जब एनडीए सरकार हर दिन बढ़ती ईंधन की कीमतों और डॉलर के मुकाबले रुपये में भारी गिरावट के दोहरे मुश्किल से जूझ रही है, मैक्रो इकॉनमिक इंडिकेटर भी खराब होते दिख रहे हैं. सरकारी अनुमान है 31 मार्च को खत्म होने वाले इस वित्त वर्ष 2018-19 में चालू खाते का घाटा (CAD) बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 2.5 फीसदी तक जा सकता है.

वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी यह उम्मीद जताते हैं कि हालत जल्दी ही सुधरने की उम्मीद है. हालांकि उन्होंने कहा, 'हमें 2.5 फीसदी के चालू फीसदी के घाटे के साथ रहना होगा.'

लेकिन यह आंकड़ा सरकार के इस दावे को कमजोर करता है कि अर्थव्यवस्था यूपीए सरकार की गड़बड़ी की विरासत से बाहर निकल रही है. गौरतलब है कि साल 2017-18 में चालू खाते का घाटा जीडीपी का 1.9 फीसदी और 2016-17 में सिर्फ 0.6 फीसदी था. इस मोर्चे पर फिसलन का पहला संकेत गत 7 सितंबर को रिजर्व बैंक द्वारा जारी आंकड़ों से सामने आया.

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इन आंकड़ों में बताया गया कि इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में रियल वैल्यू टर्म में सीएडी में बढ़त हुई है. हालांकि फीसदी में देखें तो यह पहली तिमाही में जीडीपी का 2.4 फीसदी ही था, जबकि पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में यह 2.5 फीसदी था.

क्या होता है चालू खाते का घाटा

जब किसी देश की वस्तु और सेवाओं का आयात मूल्य उसके वस्तु और सेवाओं के निर्यात मूल्य से ज्यादा हो जाता है तो उसे चालू खाते में घाटा (CAD) कहते हैं. इसकी गणना सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी के फीसदी में की जाती है.

गौरतलब है कि साल 2018 की शुरुआत से अब तक डॉलर के मुकाबले रुपये में 13 फीसदी तक की गिरावट आ चुकी है. सिर्फ जून से सितंबर के दौरान ही रुपये में 7 फीसदी की भारी गिरावट आ चुकी है. कच्चे तेल की लागत बढ़ते जाने और कमजोर होते रुपये की वजह से चालू खाते का घाटा बढ़ता जा रहा है.

वित्त वर्ष 2018-19 के लिए चालू खाते के घाटे (सीएडी) का अनुमान

संस्था (जीडीपी के फीसदी में सीएडी)
मूडीज 2.5
नोमुरा    2.8
एसबीआई   2.8
आईसीआरए   2.5
इंडिया रेटिंग्स   2.6

सीएडी में बढ़त का मतलब है कि देश की सकल विदेशी परिसंपत्ति की वैल्यू घट रही है और इससे यह साफ पता चलता है कि विदेशी मुद्रा में देश में कमाई कम, जबकि भुगतान ज्यादा हो रहा है.

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हालांकि, सरकार का कहना है कि विदेशी मुद्रा भंडार अब भी काफी ज्यादा है, इसलिए इस बढ़ते सीएडी घाटे को सहा जा सकता है. अगस्त, 2018 तक देश का विदेशी मुद्रा भंडार 400.1 अरब डॉलर तक पहुंच गया है. लेकिन 31 मार्च से अब तक करीब 24 अरब डॉलर की विदेशी मुद्रा देश से बाहर गई है.

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