प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन ने कहा है कि खेती का काम फायदेमंद होना चाहिए जिससे किसानों की आय बढ़े और युवा इसकी तरफ आकर्षित हों. कृषिक्षेत्र में ऋण माफी इसका दीर्घकालिक समाधान नहीं हो सकता. उन्होंने प्रोटीन और सूक्ष्मपोषक तत्वों की कमी के मुद्दे से निपटने के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानूनएनएफएसए के तहत दलहनों को भी शामिल किए जाने की वकालत की. भारतीय खाद्य एवं कृषि परिषद (आईएफएसी) द्वारा आयोजित एक कृषि सम्मेलन में उन्होंने कहा कि देश को खाद्य सुरक्षा से सभी के लिए पोषण सुरक्षा की स्थिति को ओर बढ़ना चाहिए.
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उन्होंने कहा कि भारतीय कृषि जलवायु परिवर्तन की समस्या का सामना कर रही है. किसानों की आय नहीं बढ़ रही है जिससे ऋण माफी की निरंतर मांग हो रही है. अपनी बात में आगे बोले कि कृषि क्षेत्र में ऋण माफी को अधिक समय तक चलाया नहीं जा सकता है. भारतीय खेती को आवश्यक रूप से मुनाफे का व्यवसाय बनना चाहिए और किसानों की आय बढ़ाने में उनको मदद मिलनी चाहिए.
स्वामीनाथन ने कहा कि युवा लोग खेती के काम की ओर आकर्षित हो सकें ऐसी स्थिति बननी चाहिए.फसल का भारी उत्पादन होने के कारण कृषि उत्पादों के दाम घटने से दिक्कत के चलते महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों ने किसानों की ऋण माफी की घोषणा कीहैं. स्वामीनाथन ने कहा कि भारतीय कृषि क्षेत्र में कई विरोधाभासी बातें हैं जैसे कि हरित क्रांति और किसानों की आत्महत्या, भारी उत्पादन और करोड़ों लोगों का भूखा रहना तथा कृषि की प्रगति और कूपोषण की समस्या.
कृषि राज्यमंत्री पुरूपोषाम रूपाला ने कहा कि देश में तिलहन का उत्पादन बढ़ाए जाने की आवश्यकता है क्योंकि आयात खेती के क्षेत्र के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित कर रहा है. उनका मानना है कि देश ने दलहन उत्पादन में लगभग आत्मनिर्भरता हासिल कर ली है लेकिन इस उत्पादन स्तर को बनाए रखे जाने की आवश्यकता है. रूपाला ने मृदा स्वास्थ्य कार्ड, फसल बीमा योजना और इलेक्ट्रॉनिक मंच से 540 मंडियों को जोड़ने जैसे सरकार की विभिन्न पहलकदमियों की बात की ताकि किसानों की आय को दोगुना किया जा सके.