केंद्र सरकार की ओर से बुधवार को किसानों के लिए तोहफा दिया गया. मोदी सरकार ने खरीफ की फसलों के एमएसपी में रिकॉर्ड बढ़ोतरी की. इस पर केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि 14 फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाने से सरकार के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य पर कोई असर नहीं पड़ेगा. चूंकि , चालू वित्त वर्ष के लिए बजट में खाद्य सब्सिडी के लिए पहले ही बड़े प्रावधान किये जा चुके हैं.
आम चुनावों से पहले खेती किसानी के संकट को दूर करने के लिए सरकार ने धान का एमएसपी में 200 रुपये प्रति क्विन्टल की रिकॉर्ड वृद्धि की है, जबकि अन्य खरीफ फसलों के एमएसपी में 52 प्रतिशत तक की वृद्धि की गई है.
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक के बाद निर्णय की घोषणा करते हुए गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इस फैसले से खजाने पर 15,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा. सरकार ने 2018-19 के बजट में खाद्य सब्सिडी के मदद में 1.7 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया है.Considering the large provisioning made in the Budget for food subsidy, the Government will be able to absorb the additional expenditure without breaching the fiscal deficit target.
— Arun Jaitley (@arunjaitley) July 4, 2018
जेटली ने ट्वीट में कहा, "बजट में खाद्य सब्सिडी के लिए बड़े प्रावधान किए गए हैं. सरकार राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पार किए बिना अतिरिक्त खर्च का वहन कर लेगी." आपको बता दें कि सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे को कम करके जीडीपी का 3.3 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा है.
केंद्रीय मंत्री ने जोर दिया कि सरकार की इस पहल से किसान सशक्त और समृद्ध होगा. उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक और बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश को जोड़कर देखा जाए तो संशोधित एमएसपी ग्रामीण भारत में जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए लंबा रास्ता तय करेगा.
कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने से खजाने पर 12,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा.