scorecardresearch
 

इंडियन फाइनेंशियल कोड लागू करने के मूड में मोदी सरकार, वित्त मंत्री ने दिए संकेत

पुराने और बेकार पड़े कानूनों का सफाया करने पर आतुर नरेंद्र मोदी सरकार 'इंडियन फाइनेंशियल कोड' लागू करने की तैयारी में है. कम से कम केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की बातों पर गौर करें, तो ऐसा संभव नजर आ रहा है.

Advertisement
X
अरुण जेटली (फाइल फोटो)
अरुण जेटली (फाइल फोटो)

पुराने और बेकार पड़े कानूनों का सफाया करने पर आतुर नरेंद्र मोदी सरकार 'इंडियन फाइनेंशियल कोड' लागू करने की तैयारी में है. कम से कम केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की बातों पर गौर करें, तो ऐसा संभव नजर आ रहा है.

Advertisement

अरुण जेटली ने शनिवार को कहा, 'सरकार वित्तीय क्षेत्र विधायी सुधार आयेाग (एफएसएलआरसी) की लेजिस्लेटिव और एडमिनिस्ट्रेटिव सुधार से जुड़ी बहुत सी सिफारिशों को जल्दी ही लागू करेगी.' रिटायर्ड जस्टिस बी एन श्रीकृष्ण की अध्यक्षता में एफएसएलसी ने अपनी रिपोर्ट में मौजूदा कानून के ढेर की जगह एकमात्र रेगुलेटर की सिफारिश की थी.

रिपोर्ट के अनुसार पेंशन, इक्विटी, इंश्योरेंस और कॉमोडिटी मार्केट के लिए केवल एक ही नियंत्रक होना चाहिए. आयोग की रिपोर्ट में यूनिफाइड फाइनेंशियल एजेंसी बनाने की बात कही गई है जिसके अंदर सेक्यूरिटीज एंड एक्सजेंच बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी), फॉर्वर्ड मार्केट कमीशन (एफएमसी), इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलप्मेंट ऑथोरिटी (इरडा) और पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलप्मेंट अथॉरिटी (पीएफआरडीए) को शामिल किया जाएगा.

फाइनेंशियल रिड्रेसल एजेंसी (एफआरए), रिजॉल्यूशन कॉर्पोरेशन (आरसी) फाइनेंशियल स्टेबिलिटी एंड डेवलप्मेंट काउंसिल (एफएसडीसी), फाइनेंशियल सेक्टर एपिलेट ट्रिब्यूनल (एफसैट) की व्यवस्था का भी सुझाव है. इस व्यवस्था में आरबीआई की भी भूमिका है लेकिन मौजूदा शक्तियों से कम शक्तियां देने की बात कही गई है.

Advertisement

भारतीय कंपनी सचिव संस्थान के कार्यक्रम के दौरान अरुण जेटली ने कहा, 'भारत अब सरकारी की नियंत्रित प्रणाली से निकलकर एक ऐसी व्यवस्था की ओर बढ़ चुका है जहां बाजार पर भरोसा किया जाता है.' जेटली ने कहा हमें न सिर्फ भारत की बेहतरीन प्रक्रियाओं से बल्कि वैश्विक तौर-तरीकों से भी सीखने की जरूरत है. आयोग की रपट इस दिशा में बेहद महत्वपूर्ण कदम है. मौजूदा हालात में बहुत से बदलाव करने की जरूरत है.'

जस्टिस बी एन श्रीकृष्णा की अध्यक्षता में एफएसएलआरसी ने अपनी रिपोर्ट 31 जुलाई, 2012 को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. लेकिन पिछली यूपीए सरकार के सुस्त रवैये और आरबीआई के विरोध के चलते सिफारिशों को लागू नहीं किया गया. जब इस कमीशन का गठन हुआ था उस वक्त डॉ. प्रणब मुखर्जी केंद्रीय वित्त मंत्री थे. कुछ दिन पहले ही उन्होंने आयोग की सिफारिशों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बात की थी जिसके बाद अरुण जेटली का यह बयान काफी मायने रखता है.

Advertisement
Advertisement