सरकार के ऑनलाइन मार्केटप्लेस (GeM) से जुड़े नियम बदलने वाले हैं. नए नियम में सामान या सेवाओं की खरीद करने वाले सरकारी विभाग और एजेंसियों को लेट पेमेंट पर ब्याज देना होगा. इस नए नियम में सरकारी विभाग और एजेंसियां, विक्रेता को देरी से भुगतान करती हैं तो उन्हें ऐसे मामलों में 1 प्रतिशत की दर से ब्याज का भुगतान करना होगा.
ब्याज की राशि अलग खाते में
हालांकि, इस तरह से मिलने वाले ब्याज की राशि को GeM एक अलग खाते में रखेगा. व्यय विभाग की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक ब्याज से प्राप्त राशि को जीईएम की देखरेख वाले खाते में रखा जाएगा. ये शर्तें इस साल एक अक्टूबर से होने वाली सभी खरीद के लिए लागू होंगी.
ln order to promote greater discipline and timeliness in payment to vendors, especially #MSMEs, the government has issued an order to levy interest on late payment to vendors on the government e-marketplace. #AatmaNirbharBharat pic.twitter.com/xY05ukr802
— NSitharamanOffice (@nsitharamanoffc) July 3, 2020
बता दें कि केंद्र सरकार बार-बार विक्रेताओं को, विशेषकर MSME क्षेत्र के विक्रेताओं को त्वरित भुगतान किए जाने की आवश्यकता पर जोर देती रही है. सरकारी ई-मार्केटप्लेस (GeM) पर की गई खरीद के लिए, खरीदारों को जीईएम पर रसीद और स्वीकृति प्रमाणपत्र (सीआरएसी) निकलने के बाद 10 दिनों के भीतर भुगतान करना होता है.
बताना होगा प्रोडक्ट का कंट्री ऑफ ओरिजिन
सरकार ने हाल ही में ऑनलाइन मार्केटप्लेस (GeM) को लेकर एक और नियम बदला है. इस नियम के तहत नए उत्पाद को रजिस्टर करते समय विक्रेताओं को आवश्यक तौर पर प्रोडक्ट का 'कंट्री ऑफ ओरिजिन' बताना होगा. इसका मतलब ये है कि विक्रेता को यह जानकारी देनी होगी कि सामान का निर्माण कहां पर हुआ है या उसका आयात कहां से हुआ है. जाहिर सी बात है कि खरीदार को प्रोडक्ट की पहचान करना आसान हो जाएगा.
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वहीं, जो प्रोडक्ट GeM पर पहले से ही रजिस्टर हैं, उन्हें भी अपडेट करना होगा. इसके जरिए ग्राहकों को ये जानकारी देनी होगी कि प्रोडक्ट का निर्माण कहां हुआ है. ऐसा नहीं करने पर उनके प्रोडक्ट्स को GeM से हटा दिया जाएगा.