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इन 3 सेक्टर्स में उलटफेर के संकेत, क्या यही है ट्रंप की बिजनेस पॉलिसी

अमेरिका को एक बार फिर महान बनाने के अपने लक्ष्य का पीछा करने के लिए डोनाल्ड ट्रंप ने अर्थव्यवस्था में ऑटो, फॉर्मा और डिफेंस सेक्टर में बड़े बदलावों की तरफ इशारा करते हुए कहा कि इन सभी सेक्टर्स में दुनिया को एक बार फिर अमेरिका की बादशाहत कायम होती दिखाई देगी.

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ऑटो, फार्मा और डिफेंस पर ट्रंप की नजर
ऑटो, फार्मा और डिफेंस पर ट्रंप की नजर

अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी संभालने से ठीक 9 दिन पहले प्रेसिडेंट एलेक्ट डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी पहली प्रेस कांफ्रेंस में आर्थिक नीति का खांका रखा. अमेरिका को एक बार फिर महान बनाने के अपने लक्ष्य का पीछा करने के लिए डोनाल्ड ट्रंप ने अर्थव्यवस्था में ऑटो, फॉर्मा और डिफेंस सेक्टर में बड़े बदलावों की तरफ इशारा करते हुए कहा कि इन सभी सेक्टर्स में दुनिया को एक बार फिर अमेरिका की बादशाहत कायम होती दिखाई देगी.

डोनाल्ड ट्रंप की स्पीच पर प्रतिक्रिया देते हुए इंडिया टुडे के संपादक और आर्थिक मामलों के जानकार अंशुमान तिवारी का मानना है कि ट्रंप की स्पीच से इन सेक्टर की कंपनियों के शेयर में उतार-चढ़ाव देखने को मिला है लेकिन अभी भी जाहिर तौर पर नहीं कहा जा सकता कि ट्रंप प्रशाषन इस दिशा में जल्द कोई कदम उठाएगा. तिवारी का मानना है कि बीते कई महीनों तक चले प्रचार के दौरान बाजार ने डोनाल्ड ट्रंप की बातों को ज्यादा सीरियसली नहीं लिया है. 

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ऑटो
मेक इन इंडिया की तर्ज पर डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि मल्टीनैशनल कंपनियों को अमेरिका में आकर मैन्यूफाक्चिरिंग करनी होगी. ऐसा इसलिए क्योंकि अमेरिका के बाहर मैन्यूफैक्चर हो रहे प्रोडक्ट में अमेरिकी लोगों को नौकरी नहीं मिल रही है. लिहाजा, ट्रंप ने चुनावी वादा किया कि राष्ट्रपति बनते ही वह दुनिया के किसी भी कोने से मैन्यूफैक्चर होकर आ रहे प्रोडक्ट पर कड़ी ड्यूटी लगाएंगे. इसका सबसे बड़ा असर ऑटो सेक्टर पर पड़ने की उम्मीद है.

असर
वैश्विक स्तर पर इस सेक्टर में अमेरिका के अलावा जर्मनी समेत यूरोपीय देश और जापान बड़े खिलाड़ी है. अमेरिका दुनियाभर में बनी गाड़ियों का अहम उपभोक्ता है. लिहाजा, ज्यादातर मल्टीनैशनल ऑटो कंपनियां अमेरिका को सप्लाई की जाने वाली गाड़ियों का निर्माण मेक्सिको जैसे कम लागत वाले राज्यों में कराते हैं. अब बॉर्डर ड्यूटी लगाने की बात कर डोनाल्ड ट्रंप ने ऑटो सेक्टर के दिग्गजों के सामने अमेरिका में मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट लगाने की मजबूरी खड़ी कर दी है.

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फार्मा
अपनी पहली प्रेस वार्ता में डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अमेरिका को फार्मा इंडस्ट्री में एक बार फिर अपना वर्चस्व बनाने की जरूरत है. इस क्षेत्र में अमेरिका और यूरोप के कुछ देशों का हमेशा से वर्चस्व रहा है. हालांकि पिछले दो दशक में बड़े बाजार के नाम पर भारत ने इस सेक्टर में अपनी पहचान बनाई है. इसका अंदाजा इसी बात से लगता है कि जहां 2014-15 में भारत को अमेरिका से 109 दवाओं को मैन्यूफैक्चर करने का अप्रूवल मिला वहीं 2015-16 में यह बढ़कर 201 हो गया.

असर
अब डोनाल्ड ट्रंप का संकेत है कि आने वाले दिनों में अमेरिका किसी अन्य देश को अप्रूवल देने से ज्यादा वजन वह अमेरिका में दवाओं की मैन्यूफैक्चरिंग पर देंगे. ट्रंप ने कहा है कि अमेरिका दुनिया में सबसे ज्यादा ड्रग्स खरीदता है इसके बावजूद फार्मा सेक्टर में उसका रसूख कम हो रहा है. लिहाजा उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले दिनों में फार्मा सेक्टर में अमेरिका अक्रामक नीति बना सकता है.

गौरतलब है कि वैश्विक स्तर पर भारत इस क्षेत्र में तेजी से बढ़ रहा है . जहां ग्लोबल इंडस्ट्री में ग्रोथ लगभग 5 फीसदी के आसपास है वहीं बीते एक दशके के दौरान भारतीय फार्मा सेक्टर 17 फीसदी से अधिक ग्रोथ कर रहा है. इसके चलते माना जा रहा है कि 2020 तक भारत दुनिया का तीसरा फार् मार्केट होगा.

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डिफेंस
अपनी पहली प्रेस वार्ता में डोनाल्ड ट्रंप ने साफ संकेत दिए कि वह अमेरिका में डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग के दो बड़े प्रोजेक्ट लॉकहीड मार्टिन के ज्वाइंट स्ट्राइक फाइटर एफ-35 और बोइंग के सुपर हॉर्नेट एफ-18 में अहम फैसला ले सकते हैं. चुनाव के दौरान अपने ट्वीट के जरिए ट्रंप ने इन प्रोजेक्ट में हो रही देरी और बार-बार बढ़ती कीमतों पर सवाल उठाया था.

असर
गौरतलब है कि भारत अपने मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत इन कंपनियों के साथ करार की कोशिश में है. बोइंग की मैन्यूफैक्चरिंग का एक बड़ा हिस्सा पहले से भारत में आउटसोर्स हो चुका है. लिहाजा, अब देखना होगा कि क्या ट्रंप के संकेत का भारत को फायदा पहुंचता है. क्योंकि ट्रंप की कोशिश अमेरिका के इन दोनों बड़े डिफेंस प्रोजेक्ट की लागत को कम करना है. आने वाले दिनों में यह काम ज्यादा से ज्यादा भारत का रुख कर सकता है. वहीं इसमें एक बार फिर खतरा अमेरिका में नौकरियों के खत्म होने का है.

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