बीते 9 दिनों से लगातार बढ़त के साथ बंद होने के बाद भारतीय शेयर बाजार में शुक्रवार को बड़ी गिरावट दर्ज की गई. सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स बढ़त में खुला लेकिन बिकवाली के दबाव में 222.14 अंक यानी 0.58 फीसदी गिरकर 38,164.61 पर बंद हुआ. वहीं एनएसई का निफ्टी भी 64.15 अंक यानी 0.56 फीसदी गिरकर 11,456.90 अंक पर आ गया.
दरअसल, निवेशकों की मुनाफावसूली और रेटिंग एजेंसी फिच के देश की आर्थिक वृद्धि दर का पूर्वानुमान कम करने के बाद भारतीय शेयर बाजार में हाहाकार मच गया. इसी वजह से सेंसेक्स ने आठ लगातार दिन की तेजी खो दी. सेंसेक्स की कंपनियों में एनटीपीसी में सर्वाधिक 3.67 फीसदी की तेजी रही. इसके अलावा टाटा मोटर्स को सर्वाधिक 2.47 फीसदी का नुकसान हुआ. वहीं रिलायंस इंडस्ट्रीज का शेयर 2.44 फीसदी, मारुति सुजुकी का शेयर 1.84 फीसदी, भारतीय स्टेट बेंक का शेयर 1.76 फीसदी और बजाज फाइनेंस का शेयर 1.23 फीसदी गिरा.
आर्थिक वृद्धि दर का पूर्वानूमान कम
बता दें कि क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए देश की आर्थिक वृद्धि दर का पूर्वानुमान घटा दिया है. पहले यह दर 7 फीसदी था, उसे घटाकर 6.80 फीसदी कर दिया है. एजेंसी ने आर्थिक गतिविधियों में उम्मीद से कमतर गति को इसका कारण बताया. एजेंसी ने चालू वित्त वर्ष के लिये आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान भी 7.2 फीसदी से घटाकर 6.9 फीसदी कर दिया. इससे पहले उसने पिछले साल दिसंबर में इसे 7.8 फीसदी से घटाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया था.
वहीं शुक्रवार को शुरुआती कारोबार में रुपया छह पैसे मजबूत होकर 68.57 रुपये प्रति डॉलर पर पहुंच गया. बुधवार को रुपया 13 पैसे मजबूत होकर 68.83 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था. रेटिंग एजेंसी फिच के अनुसार, दिसंबर 2019 तक रुपये के गिरकर 72 रुपये प्रति डॉलर पर और दिसंबर 2020 तक गिरकर 73 रुपये प्रति डॉलर पर आ जाने की आशंका है. दिसंबर 2018 में यह 69.82 रुपये प्रति डॉलर पर रहा था.