शेयर बाजार ने गुरुवार को कारोबार की शुरुआत भारी गिरावट के साथ की थी. लेकिन कारोबार के दौरान यह गिरावट काफी ज्यादा बढ़ गई है. फिलहाल (12.34PM) सेंसेक्स 642.12 अंकों की गिरावट के साथ 35,333.51 के स्तर पर कारोबार कर रहा है. निफ्टी की रफ्तार भी काफी धीमी हुई है. यह अभी 213 अंक गिरकर कारोबार कर रहा है.
इससे पहले सेंसेक्स में 800 अंक तक की गिरावट देखने को मिली है. निफ्टी भी 265 अंक तक नीचे आ चुका है. शेयर बाजार में जारी इस भारी गिरावट के लिए कमजोर होता रुपया और कच्चे तेल के बढ़ते दाम समेत कई कारण हैं.
गिरता रुपया:
रुपये में गिरावट का सिलसिला लगातार बढ़ता जा रहा है. गुरुवार को रुपये ने डॉलर के मुकाबले गिरावट का नया रिकॉर्ड बनाया है. गुरुवार को यह एक डॉलर के मुकाबले 73.77 के स्तर पर पहुंच गया है. इससे पहले बुधवार को रुपये ने पहली बार 73 रुपये का आंकड़ा पार किया था.
रुपये में जारी इस गिरावट ने बाजार का सेंटीमेंट कमजोर किया है. निवेशक रुपये में निवेश से दूरी बना रहे हैं. बता दें कि रुपया इस साल अभी तक 14 फीसदी तक टूट चुका है. इसी बीच, डॉलर लगातार मजबूत होता जा रहा है.
कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें:
गिरते रुपये के बाद दूसरी बड़ी चुनौती कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों ने बाजार के सामने खड़ी की है. अमेरिका की तरफ से अगले महीने ईरान पर सैंक्शन लगाया जाना है. इससे पहले एक बार फिर कच्चे तेल की कीमतें आसमान पर पहुंचने लगी हैं. बुधवार को ब्रेंट क्रूड 4 साल के सबसे ऊपरी स्तर पर पहुंच गया है. बुधवार को यह $86.74 प्रति बैरल पर पहुंच चुका है.
भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है. यह दुनिया के तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता है. ऐसे में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी का असर घरेलू अर्थव्यवस्था पर दिखना लाजमी है.
बॉन्ड यील्ड्स में बढ़ोतरी:
इक्विटी मार्केट ज्यादातर बॉन्ड यील्ड्स बढ़ने पर बेहतर प्रतिक्रिया नहीं देता है. यही वजह है कि बॉन्ड यील्ड्स में बढ़ोतरी के चलते शेयर बाजार भी बेहतर प्रदर्शन नहीं कर रहा है. भारत का 10 साल का बॉन्ड यील्ड फिलहाल 8.18 फीसदी के ऊपर है.
विदेशी निवेशक निकाल रहे पैसे:
विदेशी निवेशकों ने सितंबर महीने में कैपिटल मार्केट से 21 हजार करोड़ रुपये निकाले हैं. पिछले चार महीने के दौरान यह सबसे ज्यादा आउटफ्लो था. वैश्विक स्तर पर व्यापार को लेकर खड़ी हुई चिंताएं और बढ़ते चालू खाता घाटे ने भी इन निवेशकों को अपना पैसा बाहर निकालने पर मजबूर किया है.
जब भी भारतीय बाजारों से बाहर पैसा निकाला जाता है, तो इससे रुपये की वैल्यू घटती है. क्योंकि इसकी वजह से डॉलर की डिमांड बढ़ जाती है. इसका सीधा असर मार्केट सेंटीमेंट पर पड़ता है.
वैश्विक कारण:
एशियाई बाजार में भी कमजोरी दिख रही है. ब्रॉकर्स का कहना है कि ज्यादातर एशियाई बाजारों में गिरावट देखने को मिल रही है. यूएस के बेहतर बॉन्ड यील्ड और सकारात्मक इकोनॉमिक डेटा के चलते यह आशंका पैदा हो गई है कि निवेशक अमेरिका में अपना निवेश ले जाएंगे. इससे भी मार्केट सेंटीमेंट काफी कमजोर हो रहे हैं.