मैगी अपने 40 करोड़ से ज्यादा के पैकेट जलाने जा रही है. इस काम को अंजाम देने में 2500 ट्रक के साथ कम से कम 40 दिन का समय लगेगा. 1982 से शुरू मैगी की कहानी का ये हश्र होगा किसने सोचा था. मैगी के बैन ने कुछ लोगो की आँखें खोली तो कुछ नन्हीं आंखों में मैगी कोई अधूरा सपना बन कर कंही खो गयी. अब 2 मिनट में वो मैगी कैसे दिखेगी?
मैगी आपके प्लेट से जाते-जाते अपने पीछे कई सवाल छोड़ गयी है? कुछ जो मेरे जेहन में आयें वो हैं........
क्या होगा मैगी के लिए काम करने वालों का?
भारत में मैगी की 5 फैक्ट्रियों में काम कर रहे डेढ़ हज़ार से ज्यादा कामगारों की रोजी सीधे तौर पर प्रभावित होगी. इससे आगे उनकी हालत और भी बुरी है जो मैगी को कुछ न कुछ सप्लाई करते है. मैगी को मसाला सप्लाई करने वाली पंजाब के मोगा की पारस स्पाइस लिमिटेड ने मैगी को दिए जाने वाले मसाले का प्रोडक्शन तत्काल बंद कर दिया है. जिससे तकरीबन 200 कामगार बेरोजगार हो गए है. मैगी को बेचने वाले लाखों छोटे-बड़े दुकानदारों के चेहरों की रौनक अब वैसी ही होगी कहना कठिन है. स्कूल, कॉलेज में 2 मिनट में मैगी बनाकर बेचने वाले दुकानदार अब क्या बेचेंगे वही जानते होंगे.
मैगी के चाहने वाले ?
भारत पैकेजड फूड के लिए एक नया पर बड़ा बाजार है, यंहा लोग खाने की गुडवत्ता को उसके ब्रांड से नापते है. और फिर 2मिनट में बनने वाली मैगी के बारे में कौन नहीं जानता? और अब जब मैगी को सीमेंट प्लांट में जलाने की बात हो रही है तो उसके चाहने वालों पर क्या बीत रही होगी वही जानते होंगे.
नेस्ले के ब्रांड मैगी को कितना हुआ नुकसान?
भारत में मैगी की दीवानगी इसी बात से समझी जा सकती है की यंहा बहुत से लोग नूडल को भी मैगी के नाम से ही जानते हैं. पर भारत में लगातार अलग-अलग राज्यों में बैन के साथ ही एफसीसीआई के बैन के बाद मैगी ने 27,420 टन मैगी बाजार वापस लेने का फैसला लिया है. 100 साल से भी ज्यादा पुरानी स्विस कम्पनी, नेस्ले, के पूरे इतिहास में ये अब तक का सबसे बड़ा सेटबैक है जब कम्पनी को इतनी भरी मात्रा में बाजार से अपना एक उत्पाद वापस लेना पड़ रहा है.
मैगी के आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि ब्रांड मैगी को बैन नहीं किया गया है, मैगी के एक प्रोडक्ट को ही बैन किया गया है बाकी मैगी के केचप,सूप बिकते रहेंगे. इसके साथ ही कम्पनी के हालिया बयान में ये भी वादा किया गया है कि लोग मैगी पर पूरा भरोसा रखें,कम्पनी के लिए उसके ग्राहकों का स्वास्थ्य सबसे ऊपर है.
खैर मैगी की 15 से 16 हजार की सालाना बिक्री करने वाली कम्पनी का नुकसान तो हो रहा है और शायद इसी लिए कम्पनी के शेयर बढ़ते शेयर बाजार में भी लुढ़कते जा रहे है. अकेले बुधवार को इसके शेयरों में 9 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखने को मिली.
आपकी सेहत के रखवाले?
पर सवाल भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) पर भी है कि सालो से उसका ठप्पा लगकर मैगी बाजार में कैसे बिकती रही? वो तो उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के एक सरकारी मुलाजिम ने सारी कहानी पलट दी नहीं तो आज भी मैगी यूँ ही बाजार में बिकती रहती. इससे पहले FSSAI को क्यों नहीं पता चला कि मैगी के नूडल्स में सीसे (लेड) की मात्रा ज्यादा है और मोनोसोडियम ग्लूटामेट (MSG) का लेवल भी सेहत के लिए खतरनाक है. FSSAI का ठप्पा लगकर बाजार में बिक रहे हजारों उत्पादों पर लोग कैसे भरोसा कर सकेंगे? भारत के लोगों की सेहत के रखवार अब तक किस कुम्भकर्णी नींद में सो रहे थे?