रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने बुधवार को अपनी सालाना रिपोर्ट पेश की. इसमें बताया गया कि नोटबंदी के बाद बैंकों के पास 1000 रुपये की 8 करोड़ 90 लाख प्रतिबंधित नोट वापस नहीं आए. इसी पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि नोटबंदी का उद्देश्य पैसा जमा करना नहीं था. नोटबंदी से नकली नोटों का पता चला. इसका लक्ष्य टैक्स का दायरा बढ़ाना था. नोटबंदी से आतंकवाद और नक्सलवाद पर असर पड़ा.
जेटली ने बताया कि नोटबंदी का उद्देश्य कैश लेन-देन कम करना था. नकदी का आदान-प्रदान 17 प्रतिशत कम हो गया है. नोटबंदी का प्रभाव सही रास्ते पर है और भविष्य में केंद्र जो भा कदम उठाएगा, उसका आधार उस पर आधारित होगा. वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार का अगला कदम चुनाव में कालेधन पर रोक लगाना है.
जेटली ने कहा कि जिन लोगों को काले धन से निपटने की कम समझ है वही बैंकों में आई नकदी को नोटबंदी से जोड़ रहे हैं. नोटबंदी का उद्देश्य अर्थव्यवस्था में नकदी पर निर्भरता कम करना, डिजिटलीकरण करना, कर दायरा बढ़ाना और काले धन से निपटना था. नोटबंदी के बाद नकदी की कमी के कारण छत्तीसगढ़ और जम्मू कश्मीर में आतंकवादी और अलगाववादी गतिविधियों में गिरावट आई है.
आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, जहां वित्त वर्ष 2016 में रिजर्व बैंक को करेंसी छापने के लिए 3,421 करोड़ रुपये खर्च किए थे वहीं नोटबंदी के बाद वित्त वर्ष 2017 में यह खर्च बढ़कर 7,965 करोड़ रुपये हो गया.
क्या कहती है आरबीआई की रिपोर्ट?
वित्त वर्ष 2016-17 के लिए जारी रिपोर्ट में इस वक्त 2000₹ के 3285 मिलियन नोट सर्कुलेशन में हैं. 2000 रुपए की कुल वैल्यू 6571 बिलियन रुपए है. इस वक्त देश में 500 के 5882 मिलियन नोट सर्कुलेशन में हैं, जिनकी वैल्यू 2941 बिलियन है.
98.7 फीसदी नोट आरबीआई में आए वापस
वित्त राज्य मंत्री संतोष गंगवार के 3 फरवरी को लोकसभा में दिए गए बयान के मुताबिक 8 नवंबर तक 6.86 करोड़ रुपये से ज्यादा के 1000 के नोट सर्कुलेशन में थे. मार्च 2017 तक सर्कुलेशन वाले 1000 के नोट कुल नोटों का 1.3 फीसदी थे. इसका मतलब 98.7 फीसदी नोट RBI में लौट आए थे . इसका मतलब 98.7 फीसदी 1000 के नोट ही आरबीआई में वापस आए हैं.