scorecardresearch
 

एसेंशियल कमोडिटी एक्ट क्‍या है, जिसे किसानों के लिए सरकार बदल रही है

किसानों को बेहतर मूल्य मिल सके इसके लिए सरकार एसेंशियल कमोडिटी एक्ट यानी आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन करेगी.

Advertisement
X
वित्त मंत्री ने किसानों के लिए कई बड़े ऐलान किए
वित्त मंत्री ने किसानों के लिए कई बड़े ऐलान किए

Advertisement

  • निर्मला सीतारमण ने लगातार तीसरे दिन राहत पैकेज की जानकारी दी
  • कृषि क्षेत्र के लिए 11 ऐलान किए गए, इसमें 3 फैसले गवर्नेंस-रिफॉर्म के

बीते बुधवार से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लगातार प्रेस कॉन्‍फ्रेंस कर 20 लाख करोड़ के राहत पैकेज के बारे में जानकारी दे रही हैं. इसी के तहत वह शुक्रवार को एक बार फिर मीडिया के सामने आईं. अपने तीसरे प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में उन्‍होंने किसानों को राहत देने के लिए कई बड़े ऐलान किए.

इस दौरान वित्त मंत्री ने बताया कि किसानों को बेहतर मूल्य मिल सके, इसके लिए सरकार एसेंशियल कमोडिटी एक्ट, 1955 (आवश्यक वस्तु अधिनियम) में संशोधन करेगी. इस एक्‍ट से अनाज, खाद्य तेल, तिलहन, दालें, प्याज और आलू सहित कृषि खाद्य सामग्री को बाहर किया जाएगा. ऐसे में सवाल है कि एसेंशियल कमोडिटी एक्ट क्‍या है और इसका किसानों को कैसे फायदा मिलेगा. आइए समझते हैं..

Advertisement

क्‍या है एसेंशियल कमोडिटी एक्ट?

दरअसल, इस एक्‍ट के तहत जो भी वस्‍तुएं आती हैं, सरकार इनके उत्पादन, बिक्री, दाम, आपूर्ति और वितरण को नियंत्रित करती है. इसके बाद सरकार के पास अधिकार आ जाता है कि वह उस पैकेज्ड वस्‍तुओं का अधिकतम खुदरा मूल्य तय कर दे. उस मूल्य से अधिक दाम पर चीजों को बेचने पर सजा का प्रावधान है.

किसी उल्लंघनकर्ता को 7 साल के कारावास या जुर्माने या दोनों से दंडित किया जा सकता है. इसके अलावा अधिकतम 6 माह के लिए नजरबंद किया जा सकता है. यहां आपको बता दें कि इस एक्‍ट को साल 1955 में संसद से पास किया गया था. इस एक्‍ट को लाने का मकसद लोगों को जरूरी चीजें उचित दाम पर और आसानी से उपलब्ध कराना था.

ये पढ़ें- वित्त मंत्री का ऐलान- छोटे खाद्य उद्योगों को मिलेंगे 10 हजार करोड़ रुपये

बदलाव के बाद किसानों को फायदा कैसे?

इसमें बदलाव करते हुए अनाज, खाद्य तेल, तिलहन, दालें, प्याज और आलू सहित कृषि खाद्य सामग्री को एक्‍ट से बाहर किया जाएगा. इसका मतलब साफ है कि इन सभी कृषि खाद्य सामग्री पर सरकार का नियंत्रण नहीं रहेगा और किसान अपने हिसाब से मूल्‍य तय कर आपूर्ति और बिक्री कर सकेंगे. हालांकि, सरकार समय-समय पर इसकी समीक्षा करती रहेगी. जरूरत पड़ने पर नियमों को सख्‍त किया जा सकता है.

Advertisement
Advertisement