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वैधानिक चेतावनीः सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. लेकिन अब सिगरेट पीना न सिर्फ सेहत, बल्कि आपकी जेब के लिए भी हानिकारक हो सकता है. क्योंकि सरकार ने सिगरेट पर लगने वाली ड्यूटी को बढ़ा दिया है
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बीते हफ्ते जो बजट पेश किया था, उसमें सिगरेट पर लगने वाली ड्यूटी को 16% बढ़ाने का ऐलान किया. पान-मसाला, बीड़ी-सिगरेट पर नेशनल कैलेमिटी कंटीन्जेंट ड्यूटी यानी NCCD लगाई जाती है. तीन साल में ये पहली बार है जब NCCD को बढ़ाया गया है. आखिरी बार 2020 के बजट में इसे बढ़ाया गया था.
2020 के बजट में सिगरेट पर 212 से 388 फीसदी तक NCCD को बढ़ा दिया गया था. ये सिगरेट के साइज और टाइप के हिसाब से था. ये पहली बार था जब एक बार में ही सिगरेट पर ड्यूटी को इतना ज्यादा बढ़ाया गया था.
इस बार इस ड्यूटी को 16 फीसदी बढ़ाया गया है और इस वजह से 10 सिगरेट वाला पैकेट कम से कम पांच रुपये तक महंगा हो सकता है.
इसे ऐसे समझिए कि 65 मिमी तक लंबी सिगरेट के एक हजार पीस पर 440 रुपये ड्यूटी लगती थी, जो अब बढ़कर 510 रुपये हो गई है. 65 से 70 मिमी लंबी सिगरेट के एक हजार पीस पर भी ड्यूटी 440 से बढ़कर 510 रुपये हो गई है. वहीं, 70 से 75 मिमी लंबी सिगरेट के एक हजार पीस पर ड्यूटी को 545 से बढ़ाकर 630 रुपये कर दिया गया है.
लिहाजा, अगर अब आप 10 सिगरेट वाला पैकेट लेते हैं तो आपको 5 से 6 रुपये ज्यादा चुकाने होंगे. अगर 20 सिगरेट वाला पैकेट है तो ये 10 से 12 रुपये महंगा हो सकता है. मसलन, अगर आप किसी ब्रांड की बड़ी सिगरेट का एक पैकेट पहले 165 रुपये में खरीदते थे, तो अब उसके लिए तकरीबन 175 रुपये या उससे ज्यादा चुकाना पड़ सकता है.
पर ये टैक्स क्यों बढ़ाया गया?
सिगरेट जैसे तंबाकू उत्पादों पर टैक्स बढ़ाने की सिफारिश की जाती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, तंबाकू की वजह से हर साल दुनियाभर में 80 लाख लोग बेमौत मारे जाते हैं.
WHO का कहना है कि जो लोग तंबाकू खाना या सिगरेट पीना शुरू कर देते हैं, उनके लिए इसे छोड़ पाना बेहद मुश्किल होता है. ऐसे में इस लत को छुड़वाने का सबसे असरदार तरीका है कि इस पर टैक्स इतना लगा दिया जाए कि लोग इसे खरीद न सकें.
विश्व स्वास्थ्य संगठन का सुझाव है कि तंबाकू उत्पादों पर कम से कम रिटेल प्राइस का 75 फीसदी टैक्स लगना चाहिए. इससे ये होगा कि तंबाकू उत्पाद की कीमत इतनी ज्यादा बढ़ जाएगी कि हर किसी के लिए उसे खरीद पाना मुश्किल होगा.
इसे ऐसे समझ लीजिए कि अगर किसी कंपनी ने अपना मुनाफा निकालकर एक पैकेट सिगरेट की रिटेल कीमत 100 रुपये रखी है और इसके बाद उस पर 75 फीसदी टैक्स लग गया तो उसकी MRP 175 रुपये तक पहुंच गई.
कितनी सिगरेट पी लेते हैं भारतीय?
दुनिया की 18 फीसदी आबादी भारत में रहती है, लेकिन सिगरेट की खपत का महज 2 फीसदी ही यहां होता है. इसी वजह से सिगरेट की प्रति व्यक्ति खपत भारत में काफी कम है.
2018 में 'द टोबैको एटलस' की रिपोर्ट बताती है कि भारत में हर व्यक्ति सालाना औसतन 89 सिगरेट पीता है. जबकि, चीन में हर व्यक्ति सालभर में औसतन 2,043 सिगरेट पी जाता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बीते 12 साल में दो बार 'ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे' किया. पहला सर्वे 2009-10 में हुआ था और दूसरा 2016-17 में. इसमें सामने आया कि भारत में तंबाकू और सिगरेट या बीड़ी पीने वालों की संख्या में कमी आई है. 2009-10 के सर्वे में सामने आया था कि 14 फीसदी वयस्क भारतीय सिगरेट या बीड़ी पीते हैं, जो 2016-17 में घटकर 11 फीसदी से भी कम हो गए थे.
केंद्र सरकार के आंकड़े भी इस ओर इशारा करते हैं कि भारत में सिगरेट का धुंआ उड़ाने वाले कम हुए हैं. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS) के मुताबिक, 2015-16 में 13.6 फीसदी पुरुषों ने सिगरेट पीने की बात मानी थी, जबकि 2019-21 में ये आंकड़ा थोड़ा कम होकर 13.2 फीसदी पर आ गया.
कुल मिलाकर, अभी भी देखा जाए तो 13 फीसदी भारतीय सिगरेट पीते हैं. इनमें से आधे ऐसे हैं जो रोजाना पांच से ज्यादा सिगरेट पीते हैं.
सर्वे के मुताबिक, जितने लोगों ने सिगरेट पीने की बात मानी, उनमें से 80 फीसदी महिलाओं और 72 फीसदी पुरुषों ने हर दिन पांच से कम सिगरेट पीने की बात कही थी. वहीं, साढ़े सात फीसदी से ज्यादा महिलाएं ऐसी थीं जिन्होंने हर दिन 25 या उससे ज्यादा सिगरेट पीने की बात मानी थी. जबकि, हर दिन 25 या उससे ज्यादा सिगरेट पीने वाले पुरुषों की संख्या एक फीसदी से भी कम थी.
पर क्या टैक्स बढ़ाने से खपत कम होती है?
अब तक कई स्टडीज में ये सामने आ चुका है कि अगर सिगरेट-बीड़ी जैसे तंबाकू उत्पाद पर टैक्स बढ़ा दिया जाता है तो इससे खपत भी कम हो जाती है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट बताती है कि अगर तंबाकू उत्पाद पर कम से कम 10 फीसदी टैक्स भी बढ़ा दिया जाता है तो इससे हाई इनकम वाले देशों में 4 फीसदी और लोअर मिडिल इनकम वाले देशों में 5 फीसदी तक खपत कम हो जाती है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, 2008 में भारत में 20 सिगरेट वाले पैकेट की औसत कीमत 58 रुपये थी, जो 2020 में बढ़कर 190 रुपये हो गई. आंकड़े बताते हैं कि बढ़ती कीमत से देश में स्मोकिंग की दर घटी है. WHO के अनुमान के मुताबिक, 2008 में भारत में स्मोकिंग की दर 20.8 फीसदी थी, जो 2019 तक घटकर 8.6 फीसदी हो गई.
हालांकि, एक्सपर्ट्स का मानना है कि सिर्फ सिगरेट पर ड्यूटी बढ़ा देने से बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा. क्योंकि भारत में जितने भी लोग तंबाकू का सेवन करते हैं, उनमें से 15 फीसदी से भी कम सिगरेट पीते हैं. सरकार ने सिर्फ सिगरेट पर ड्यूटी बढ़ाई है, जबकि बीड़ी पर कोई टैक्स नहीं बढ़ाया है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस बात के हजारों उदाहरण हैं कि जब लोगों के लिए सिगरेट खरीद पाना मुश्किल हो जाता है तो वो बीड़ी पीना शुरू कर देते हैं.