देश का विदेशी पूंजी भंडार 27 मार्च को समाप्त सप्ताह में 1.38 अरब डॉलर बढ़कर 341.37 अरब डॉलर दर्ज किया गया. यह जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़े से मिली.
विश्लेषकों के मुताबिक, रिजर्व बैंक पूंजी भंडार इसलिए बढ़ा रहा है, ताकि जून 2013 जैसे भविष्य के वित्तीय झटकों को झेला जा सके. कोटक सिक्युरिटीज के करेंसी डेरिवेटिव्स खंड के वरिष्ठ प्रबंधक अनिंद्य बनर्जी ने कहा, 'आरबीआई इसलिए पूंजी भंडार बढ़ा रहा है, ताकि भविष्य के वित्तीय झटकों को झेला जा सके, जैसा कि टेपरिंग की घोषणा के दौरान हुआ था। इसके अलावा भंडार से रुपये को भी संबल मिलेगा.'
बनर्जी ने कहा, 'भारतीय मुद्रा काफी स्थिर है और भंडार से इसके समान स्तर पर बने रहने की संभावना बढ़ती है. भंडार का अच्छा स्तर यह भी सुनिश्चित करता है कि बाहर से पैदा होने
वाली समस्या से निपटा जा सकता है.' अमेरिकी केंद्रीय बैंक, फेडरल रिजर्व इस साल के आखिर तक ब्याज दर बढ़ा सकता है और इससे आरबीआई सतर्क है.
अमेरिका में दर बढ़ने से यह माना जा रहा है कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक भारत जैसी उभरती अर्थव्यस्था से पैसा निकालकर अमेरिका में लगाएंगे. फेड ने पिछले दिनों अपनी समीक्षा में से 'धीरज' शब्द को निकाल दिया, जिसका मतलब निवेशकों ने यह निकाला है कि वह जून से दिसंबर के बीच दर बढ़ा सकता है.
18 मार्च की घोषणा में हालांकि फेड प्रमुख जेनेट येलेन ने कहा था, "हमने अपनी घोषणा से धीरज शब्द हटा दिया है, इसका यह मतलब यह नहीं है कि हम अधीर हो गए हैं.'पूंजी भंडार के एक बड़े घटक मुद्रा भंडार का मूल्य आलोच्य अवधि में 1.35 अरब डॉलर बढ़कर 316.23 अरब डॉलर रहा.
आरबीआई के मुताबिक, मुद्रा भंडार को डॉलर में व्यक्त किया जाता है और इसपर पाउंड स्टर्लिग, यूरो तथा येन जैसी गैर डॉलर मुद्राओं के मूल्य में होने वाले उतार-चढ़ाव का भी सीधा असर पड़ता है. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में जमा भारतीय भंडार का मूल्य इस दौरान 85 लाख डॉलर बढ़कर 1.29 अरब डॉलर रहा. विशेष निकासी अधिकार का मूल्य 2.62 करोड़ डॉलर बढ़कर 4.00 अरब डॉलर रहा.
इनपुट IANS